छत्तीसगढ़

01-Feb-2019 12:19:23 pm
Posted Date

अब सिर्फ दो बार ही नेता नहीं बन सकेंगे गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र

बिलासपुर, 01 फरवरी ।  गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में छात्र अब सिर्फ  दो बार ही नेता नहीं बन सकेंगे। तीसरी बार चुनाव लडऩे पर प्रतिबंध होगा। विश्वविद्यालय ने छात्र परिषद गठन संबंधी विनियम में बदलाव किया है। छात्रों का कहना है कि छात्र राजनीति पर सीधा प्रहार है। जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 
केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन ने सत्र 2018 के चुनाव को लेकर हाल में मुख्य चुनाव अधिकारी के रूप में प्रो.बीएन तिवारी का नाम फाइनल किया है। इसके बाद अब विनियम में बदलाव की घोषणा कर छात्र-छात्राओं को चौंका दिया है। जारी अधिसूचना में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि उम्मीदवार को किसी पदाधिकारी के पद के लिए चुनाव लडऩे के लिए एक अवसर एवं निर्वाचित और या नामित प्रतिनिधि के लिए दो अवसर मिलेगा। समान मत प्राप्त उम्मीदवारों की संख्या दो से अधिक हो, तो इस पर लाटरी पद्घति से निर्णय लिया जाएगा। लाटरी जीतने वाले उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित किया जाएगा। पात्रता के मापदण्डों को पूर्ण करने के अधीन, विद्या परिषद छात्र परिषद के कक्षा प्रतिनिधियों को नामित करेगा। इस वर्ग में कुल पांच प्रतिनिधियों को विभिन्न पाठ्येत्तर गतिविधियों के लिए निर्धारित अंकों के गुणानुक्रम के आधार पर नामित किया जाएगा। भारतीय विश्वविद्यालय परिसंघ (एआइयू) की सूची में उल्लेखित समस्त सांस्कृतिक गतिविधियों के आधार पर नामित किया जाएगा। यानी कोई भी छात्र अब एसोसिएशन या इधर उधर के प्रमाण पत्र नहीं लगा सकेगा। आखिरी बदलाव छात्र कंडिका 15 के तहत निर्वाचित, साथ ही कंडिका 16 के तहत नामित होता है, तो उसे केवल निर्वाचित प्रतिनिधि समझा जाएगा। अधिसूचना जारी होने के बाद से छात्रों में निराशा है। उनका कहना है कि अधिकारियों ने छात्र राजनीति को कुचलने का प्रयास किया है। प्रत्यक्ष चुनाव के बदले धोखा है।
छात्र नेताओं की जुबानी
0 चुनाव बंद करने की साजिश: सिद्धार्थ
पूर्व छात्र परिषद के अध्यक्ष सिद्धार्थ शुक्ला का कहना है कि चुनाव बंद करने की साजिश है। जिम्मेदार अधिकारी अपनी पोल खुलने व कमजोरी सामने आने की डर से ऐसे हथकंडे अपना रहे हैं। छात्रों की अवाज को दबाने का प्रयास है।
0 मोदी सरकार को होगा नुकसान: नितेश
प्रदेश में जिस तरह से रमन सरकार कॉलेजों में छात्र संघ चुनाव पर रोक लगाकर युवाओं के गुस्से का शिकार हुई। ठीक उसी तरह विश्वविद्यालय के अधिकारियों की वजह से मोदी सरकार को हजारों वोट का नुकसान होगा। लीडरशिप को बढ़ावा कैसे मिलेगा।
छात्र किस फ ोरम में जाएंगे: उदयन
केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन का यह निर्णय दु:खद है। छात्र राजनीति को आगे बढ़ाने के बजाए पंगु बना दिया गया है। लिंग दोह कमेटी की अनुशंसा के तहत सीधे प्रत्यक्ष चुनाव होना चाहिए। डीयू या अन्य विवि से अधिकारियों को सीखना चाहिए।

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