व्यापार

04-Dec-2023 3:47:11 pm
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क्रेडिट स्कोर बनाए रखना और सुधारना अब और भी जरूरी

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले पखवाड़े में एक सर्कुलर के जरिये वाणिज्यिक बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के उपभोक्ता ऋणों पर जोखिम भार यानी रिस्क वेट बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया, जो पहले 100 फीसदी था।
क्रेडिट कार्ड के बिल पर अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए रिस्क वेट 125 फीसदी से बढ़ाकर 150 फीसदी और एनबीएफसी के लिए 100 फीसदी से बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया गया। एनबीएफसी को बैंकों से दिए जाने वाले कर्ज पर भी रिस्क वेट बढ़ा दिया गया। केंद्रीय बैंक ने बैंकों और एनबीएफसी से उपभोक्ता कर्ज और उसकी उपश्रेणियों के लिए सीमा तय करने को भी कहा।
आरबीआई के इस कदम के बाद बैंकों और कर्ज देने वाली संस्थाओं को गिरवी के बगैर यानी असुरक्षित कर्ज के लिए अधिक पूंजी रखनी होगी। पैसाबाजार के सह-संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) नवीन कुकरेजा के हिसाब से इसके बाद असुरक्षित कर्ज पर ब्याज बढ़ सकता है।
एंड्रोमेडा सेल्स ऐंड डिस्ट्रीब्यूशन के को-सीईओ राउल कपूर कहते हैं, ‘इस बदलाव के बाद पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड और कंज्यूमर ड्यूरेबल के लिए कर्ज महंगा होना तय है। लेकिन आवास ऋण, शिक्षा ऋण, वाहन ऋण और गोल्ड लोन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।’
ये कर्ज मिलना मुश्किल हो सकता है। कुकरेजा कहते हैं, ‘इन उपायों की वजह से एनबीएफसी से असुरक्षित ऋण और क्रेडिट कार्ड मिलना कम हो सकता है।’ कपूर को लगता है कि इन श्रेणियों के लिए कर्ज के नियम पहले से सख्त हो सकते हैं।
उपभोक्ताओं को भी नई व्यवस्था में उधारी लेते समय ज्यादा समझदारी दिखानी चाहिए। बैंकबाजार के सीईओ आदिल शेट्टी की राय है, ‘कर्ज उतना ही लीजिए, जितना आप हर महीने आराम से चुका सकें। क्रेडिट कार्ड की कुल लिमिट के 25-30 फीसदी से ज्यादा खर्च करने से भी बचना चाहिए।’
जब कर्ज देने वाले सख्ती बरतें तो आपको भी कर्ज के लिए अर्जी देने से पहले ढंग से पड़ताल कर लेनी चाहिए। देखिए कि आपके क्रेडिट प्रोफाइल के हिसाब से कौन आपको आसानी से कर्ज दे सकता है। जगह-जगह अर्जी डालने से आपको कई जगह से इनकार भी मिल सकता है, जिससे आपका क्रेडिट स्कोर कम हो जाएगा। बहुत आवेदन करेंगे तो मान लिया जाएगा कि आप हर समय उधार मांगते रहते हैं, जिससे ऋणदाता संस्थाएं आपसे किनारा कर सकती हैं।
कर्ज देने वाली संस्थाएं आवेदकों के क्रेडिट प्रोफाइल देखकर ही तय करती हैं कि उन्हें कर्ज देना है या नहीं और ब्याज कितना वसूलना है। हर संस्था क्रेडिट तय करने के लिए अलग-अलग तरीका अपनाती है, इसलिए कर्ज मंजूर होने की संभावना और ब्याज, प्रोसेसिंग शुल्क आदि भी अलग-अलग होते हैं। कुकरेजा सलाह देते हैं, ‘पर्सनल लोन लेने की सोच रहे लोगों को अर्जी डालने से पहले अधिक से अधिक बैंकों, एनबीएफसी के पास से ब्याज दर लेनी चाहिए और उनकी तुलना करनी चाहिए।’
सबसे पहले उन संस्थाओं से बात कीजिए, जिनमें पहले से ही आपने रकम जमा कर रखी है या कर्ज अथवा क्रेडिट कार्ड लिए हैं। कुकरेजा बताते हैं, ‘कई बैंक और संस्थाएं उन लोगों को बेहतर और कम ब्याज पर कर्ज देते हैं, जो पहले से उनके ग्राहक होते हैं। उसके बाद ऑनलाइन वित्तीय प्लेटफॉर्म पर जाकर तमाम ऋणदाताओं की ब्याज दरों की तुलना कीजिए।’ उनकी सलाह है कि ब्याज दर, प्रोसेसिंग शुल्क, कर्ज की अवधि और कर्ज मिलने में लग रहा समय जहां माफिक हो उसी संस्था से ऋण लेना चाहिए।
स्थिर आमदनी, 750 या उससे ऊपर क्रेडिट स्कोर और समय पर कर्ज चुकाते रहने वाले लोगों को कर्ज आसानी से मिल जाएंगे। जिनका प्रोफाइल ऐसा नहीं है, उन्हें क्रेडिट कार्ड के बकाये तथा मासिक किस्त का समय पर भुगतान पक्का कर अपना प्रोफाइल सुधारने की कोशिश में जुट जाना चाहिए।
पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड पाना मुश्किल लग रहा है तो कुछ गिरवी रख दीजिए। शेट्टी कहते हैं, ‘सावधि जमा (एफडी) या सोने जैसा कुछ गिरवी रखकर पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड पाने की कोशिश कीजिए। इससे आप कर्ज पाने के लायक तो हो ही जाएंगे, बैंक आपके लिए ब्याज दर भी कम रख सकता है।’
क्रेडिट स्कोर बढऩे के साथ ही आप अपने कार्ड पर क्रेडिट लिमिट बढ़ाने को भी कह सकते हैं। शेट्टी समझाते हैं कि पैसे की अचानक जरूरत पडऩे पर बढ़ी लिमिट काम आ सकती है और पर्सनल लोन लेने के बजाय क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर बकाये को ईएमआई में बांटा जा सकता है। लेकिन पहले यह देख लीजिए कि ब्याज कितना लिया जा रहा है।

 

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