व्यापार

31-Jan-2019 11:01:48 am
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ऑनलाइन फूड कंपनियों पर भी लागू होंगे ई-कॉमर्स एफडीआई नॉर्म्स?

नई दिल्ली ,31 जनवरी । रेस्टोरेंट्स ने सरकार से पूछा है कि क्या जोमैटो, स्विगी और उबरईट्स जैसी ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग कंपनियां भी ई-कॉमर्स से जुड़ी एफडीआई पॉलिसी के दायरे में आएंगी? यह सवाल देश के एक लाख से ज्यादा रेस्टोरेंट्स का प्रतिनिधित्व करने वाले नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन (डीआईपीपी) से इसी महीने किया था।
एसोसिएशन ने डीआईपीपी से यह स्पष्ट करने को कहा था कि क्या ऑनलाइन फूड कंपनियों को भी ई-कॉमर्स एफडीआई पॉलिसी की गाइडलाइंस का पालन करना होगा। इस पॉलिसी के हिसाब से इन कंपनियों पर प्राइसिंग को कंट्रोल करने, इनवेंटरी बेस्ड मॉडल पर ऑपरेट करने और अपना किचन चलाने पर रोक है।
डीआईपीपी ने एफडीआई पॉलिसी में क्लैरिटी के लिए दिसंबर 2018 के अंत में जो नॉर्म्स जारी किए थे, वे 1 फरवरी से लागू होने वाले हैं। इस मामले में फिलहाल सबकी नजरें ऑनलाइन मार्केटप्लेस एमेजॉन और फ्लिपकार्ट पर हैं, जो बड़ी संख्या में ग्राहकों को लुभा रही थीं। ऑनलाइन मार्केटप्लेस ऑपरेटर्स ने नियमों के पालन के लिए ज्यादा समय मांगा है। 
ई-कॉमर्स एफडीआई नॉर्म्स के मुताबिक ऑनलाइन मार्केटप्लेस, वेंडर कंपनियों में हिस्सेदारी नहीं रख सकते। वे अपने प्लेटफॉर्म पर बिकने वाले सामान और उनके दाम पर कंट्रोल नहीं रख सकते। कुछ ऑनलाइन फूड कंपनियां मार्केटप्लेस की तरह काम कर रही हैं, जबकि बाकी इनवेंटरी बेस्ड हैं और कुछ कंपनियां दोनों मॉडल का इस्तेमाल कर रही हैं। 
एनआरएआई ऑनलाइन फूड कंपनियों पर कंज्यूमर्स को डिस्काउंट की लत लगाने का आरोप लगा चुका है। एसोसिएशन के प्रेसिडेंट राहुल सिंह कहते हैं, रेस्टोरेंट सेक्टर में छोटे कारोबारियों और परिवारों के हाथों चल रहे लाखों छोटे बिजनेस हैं, जिनके हितों का ध्यान पूरा रखा जाना चाहिए। पॉलिसी में निष्पक्ष और बिना भेदभाव वाला फ्रेमवर्क होना चाहिए। दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनियों में किसी भी कीमत पर कस्टमर्स हासिल करने की होड़ और उनके बीच चल रहे कड़े मुकाबले में हमें देखना होगा कि रेस्टोरेंट चलाने वालों को नुकसान न हो। 
मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म एटी कियर्नी के पार्टनर देबाशीष मुखर्जी कहते हैं, पॉलिसी को स्पष्ट किया जाना चाहिए। कारोबारियों के हितों और कस्टमर्स की चॉइस और उनकी सुविधा पर टेक्नोलॉजी के असर और इससे हो रहे रोजगार सृजन के अलावा इकनॉमिक वैल्यू एडिशन के बीच संतुलन बनाने के लिए सोच-समझकर काम करना चाहिए। डीआईपीपी अधिकारियों ने इस मामले में कमेंट करने से मना कर दिया। स्विगी और जोमैटो को भेजी गई ईमेल का जवाब खबर लिखे जाने तक नहीं मिल पाया था। 
डीआईपीपी की गाइडलाइंस के मुताबिक, बायर्स और सेलर्स के लिए प्लेटफॉर्म का काम करने वाले ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस में 100 प्रतिशत एफडीआई की इजाजत है लेकिन यह इनवेंटरी बेस्ड मॉडल पर लागू नहीं होता, जिसमें कंपनी अपने पास से सामान सीधे कस्टमर्स को बेचती हैं।

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