व्यापार

04-Nov-2023 5:36:27 am
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इलेक्ट्रॉनिक्स की तरह फार्मा सेक्टर भी बढ़ोतरी की राह पर, विदेश में लगातार बढ़ रही भारत में बनी दवाइयों की मांग

नई दिल्ली  । इलेक्ट्रानिक्स की तरह भारत की दवाइयों की मांग भी लगातार बढ़ती जा रही है। यही वजह है कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में वस्तुओं के कुल निर्यात में लगातार गिरावट के बावजूद फार्मा निर्यात में बढ़ोतरी हो रही है। दूसरी तरफ, एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इंग्रेडिएंट्स (एपीआई) के घरेलू निर्माण के प्रोत्साहन के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआइ) स्कीम के शुरू होने के बाद फार्मा के आयात की बढ़ोतरी दर कम होती जा रही है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष 2023-24 में अप्रैल-सितंबर में वस्तुओं के कुल निर्यात में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 8.77 प्रतिशत की गिरावट रही, लेकिन फार्मा के निर्यात में इस अवधि में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस साल अप्रैल-सितंबर में 13.3 अरब डालर का फार्मा निर्यात रहा जबकि पिछले साल इस अवधि में 12.7 अरब डालर फार्मा निर्यात किया गया था। इस साल सितंबर में फार्मा निर्यात में 9.01 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
तीन साल पहले एपीआई के लिए आयात पर थे निर्भर
कोरोना काल में दवा निर्माण के लिए जरूरी एपीआई के निर्माण की कवायद के साथ पीएलआइ स्कीम शुरू हुई और दो से ढाई साल में 38 मोलिक्यूल्स का निर्माण भारत में होने लगा है। इंडिया ड्रग मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक अशोक कुमार मदान कहते हैं, कई मोलिक्यूल्स ऐसे हैं, जिनका निर्माण हम बिल्कुल नहीं करते थे। तीन साल पहले तक इन मोलिक्यूल्स के लिए हम पूरी तरह से आयात पर निर्भर थे। उन्होंने बताया कि निर्यात बढ़ाने के लिए दवा के क्वालिटी कंट्रोल पर ध्यान दिया जा रहा है और मैन्यूफैक्चरिंग के वैश्विक स्तर को पूरी तरह से अपनाने की तैयारी चल रही है। भारत इन दिनों सबसे अधिक दवा निर्यात अमेरिका को कर रहा है। दूसरा नंबर ब्रिटेन का है।
एफटीए होने से आस्ट्रेलिया में बनीं निर्यात की संभावनाएं
अफ्रीकी देशों को होने वाले दवा निर्यात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इन देशों में भारत की जेनरिक दवा की मांग लगातार बढ़ रही है। दुनिया के शीर्ष 20 जेनेरिक दवा निर्माताओं में आठ कंपनियां भारत की हैं। आस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) होने के बाद वहां भी दवा निर्यात की नई संभावनाएं निकल रही हैं
कई तरह के स्टार्टिंग मैटेरियल अब भी देश में नहीं बन रहे
एक चिंताजनक पहलू यह है कि दवा बनाने के लिए जरूरी कई तरह के स्टार्टिंग मैटेरियल (केएसएम) का निर्माण अब भी देश में नहीं हो रहा है। इसलिए उनका आयात बढ़ रहा है। हालांकि कई एपीआई का उत्पादन घरेलू स्तर पर शुरू होने से उनके आयात में कमी आई है। इसलिए फार्मा आयात की बढ़ोतरी दर कम हो रही है। वित्त वर्ष 2021-22 में फार्मा के आयात में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। वित्त वर्ष 2022-23 में यह बढ़ोतरी दर घटकर दो प्रतिशत रह गई।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-सितंबर में फार्मा आयात में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले सिर्फ 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। निर्यात में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ घरेलू स्तर पर भी दवा के कारोबार में पिछले साल के मुकाबले 8-9 प्रतिशत की बढ़ोतरी दिख रही है। इसलिए दवा का निर्माण भी बढ़ रहा है।

 

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