नई दिल्ली । यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण की वजह से सर्दियों में भी दिल्ली का गला सूखने की कगार पर आ गया है। जनवरी खत्म हो रही है, सर्दियां अपने आखिरी पड़ाव पर हैं, ऐसे में यदि समस्या नहीं सुधरी तो फरवरी के मध्य से ही दिल्ली में जल संकट बड़ा रूप ले सकता है। पिछले दो सालों से हर साल पानी की समस्या को दिल्ली झेल रही है। एक हफ्ते पहले से यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ रहा था, अब यह 2.2 पीपीएम तक पहुंच चुका है।
फिलहाल दिल्ली के तीन प्लांट चंद्रावल, ओखला और वजीराबाद इससे प्रभावित हैं। इनकी 30 से 40 पर्सेंट तक क्षमता कम हो गई है। चंद्रावल से 90 एमजीडी, वजीराबाद में 120 एमजीडी और ओखला से 20 एमजीडी पानी सप्लाई किया जाता है। जिसकी वजह से दिल्ली में लगातार जल संकट बन रहा है। अभी प्लांट बंद करने की नौबत नहीं आई है, लेकिन यदि हालात इसी तरह रहे तो अगले कुछ रोज में प्लांटों को बंद भी करना पड़ सकता है।
डीजेबी के अनुसार हरियाणा की तरफ से यमुना में पिछले कुछ दिनों से प्रदूषित पानी छोड़ा जा रहा है, जिसमें इंडस्ट्रियल वेस्ट अधिक है। हरियाणा प्रतिदिन यमुना में समझौते के तहत 683 क्यूसेक के करीब पानी छोड़ता है लेकिन पिछले कई दिनों इस पानी में अमोनिया ही नहीं बल्कि क्लोराइड, फ्लोराइड और जिंक की मात्रा भी मानको से अधिक है लेकिन सबसे अधिक चिंता अमोनिया को लेकर है। डीजेबी के अनुसार दिल्ली के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट 0.9 पीपीएम तक अमोनिया को साफ कर पाते हैं। पिछले साल भी यह समस्या जनवरी के मध्य में शुरू हुई थी, जो मार्च की शुरुआत तक बरकरार रही थी।
जल बोर्ड के अनुसार इस समय जो पानी हरियाणा से यमुना में आ रहा है उसमें अमोनिया का स्तर चार गुना तक अधिक है। चंद्रावल, वजीाराबाद और ओखला प्लांट पूरी तरह यमुना के पानी पर निर्भर है। ऐसे में इन प्लांटों को दूसरे प्लांट का कोटा देकर चलाया जा रहा था लेकिन स्थिति लगातार खराब हो रही है। डीजेबी पिछले साल से ही इस समस्या को लेकर हरियाणा से बात कर रहा है, लेकिन अभी तक समस्या का हल नहीं निकला है। हरियाणा की तरफ से साफ पानी छोडऩा ही एकमात्र विकल्प है।
हरियाणा से आ रहा है अमोनिया, कोर्ट जाएगी डीजेबी
पिछले चार दिनों से यमुना में लगातार बढ़ रहे अमोनिया के स्तर को लेकर अब डीजेबी ने कोर्ट जाने की तैयारियां कर ली है। डीजेबी के अनुसार हरियाणा यमुना में औद्योगिक वेस्ट डाल रहा है, जिसकी वजह से अमोनिया बढ़ रहा है। इसका खामियाजा दिल्ली को उठाना पड़ रहा है। इसी सीजन में यह दूसरा मौका है, जब इस समस्या की वजह से दिल्ली में पानी की आपूर्ति प्रभावित हो रही है।
डीजेबी के अनुसार वजीराबाद तालाब में अमोनिया का स्तर 2.2 पीपीएम पहुंच गया है। इसकी वजह से दिल्ली के तीन वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला में पानी का उत्पादन 30 से 40 पर्सेंट तक कम हो गया है। इस वजह से दूसरे वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट पर भी दबाव बढ़ रहा है। आपसी बातचीत से इस समस्या का हल न निकलते देखकर डीजेबी दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रही है। डीजेबी दिल्ली हाई कोर्ट को बताएगी कि प्रदूषण की वजह से किस तरह दिल्ली में पानी की किल्लत हो रही है।
यमुना के स्रोतों से दिल्ली को मिल रहा पानी पिछले कुछ दिनों से काफी खराब आ रहा है। पानी की स्थिति ऐसी नहीं है कि इसे दिल्ली के वजीराबाद रिजरवायर में ट्रीट किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार दिल्ली में पीने के पानी की जरूरतों के लिए वजीराबाद रिजवायर को हमेशा भरा रखना है। डीजेबी की तरफ से सेंट्रल बोर्ड से भी अपील की गई है कि हरियाणा सरकार को यमुना में प्रदूषण रोकने के कदम उठाने के निर्देश दिए जाएं, ताकि दिल्ली को पानी पर्याप्त मात्रा में मिलता रहे। दिल्ली जल बोर्ड ने जल संसाधन मंत्रालय के तहत काम करने वाले अपर यमुना रिवर बोर्ड और पर्यावरण मंत्रालय के तहत काम करने वाले सेंट्रल पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को पहले ही इस संबंध लिखा है, लेकिन अब तक कोई राहत नहीं मिली है।