व्यापार

28-Jan-2019 1:05:56 pm
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ग्लोबल फंड्स को लुभाने के लिए सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग जाएंगे आरबीआई गवर्नर

मुंबई । रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास इंडिया की ग्रोथ स्टोरी में ग्लोबल फंड्स का इंटरेस्ट फिर से जगाने के लिए सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग का दौरा करेंगे। दरअसल पिछले एक साल देश में विदेशी निवेश का प्रवाह थम सा गया है, इसलिए ग्लोबल फंड्स से बात करने के लिए इन दोनों देशों का दौरा करने जा रहे हैं।
गवर्नमेंट ऑफ सिंगापुर इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन, टेमासेक, एबरडीन एसेट मैनेजमेंट, प्रूडेंशियल पीएलसी, नोमुरा, गोल्डमैन सैक्स, मॉर्गन स्टेनली, ईस्टस्प्रिंग के प्रतिनिधि इस उम्मीद के साथ मीटिंग में आएंगे कि आरबीआई के गवर्नर से फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स के लिए इंडिया में इनवेस्टमेंट के कुछ रूल्स को नरम बनाएंगे। 
बंद कमरे में होने वाली मीटिंग फरवरी के दूसरे या तीसरे हफ्ते में कराई जा सकती है और इसमें 40-50 इंस्टीट्यूशनल पार्टिसिपेंट्स शामिल हो सकते हैं। सूत्रों ने कहा, इससे ग्लोबल इनवेस्टर्स में इंडिया में निवेश को लेकर उत्साह बढ़ेगा क्योंकि आरबीआई गवर्नर खुद निवेशकों से आमने-सामने बात करेंगे।  सूत्रों ने बताया कि रिजर्व बैंक ने सिटी, डीबीएस, डोएचे, एचएसबीसी, जेपी मॉर्गन सहित कई कस्टोडियन फॉरेन बैंकों से उनके टॉप क्लाइंट्स की लिस्ट मांगी थी। इनमें ग्लोबल सॉवरेन फंड्स, एसेट मैनेजमेंट कंपनी, पेंशन फंड्स वगैरह शामिल हैं। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए आरबीआई को भेजी गई ईमेल का जवाब खबर लिखे जाने तक नहीं मिल पाया था। कस्टोडियन बैंकों ने भी मामले में बात करने से मना कर दिया जबकि विदेशी पार्टिसिपेंट्स से संपर्क नहीं हो पाया। रघुराम राजन जैसे फॉर्मर गवर्नर भी इनवेस्टर्स से मिलने विदेश गए थे, लेकिन वो मीटिंग्स पब्लिक इवेंट्स थीं। आरबीआई विदेशी कस्टोडियन बैंकों से कनेक्ट होने के लिए इस बार ऐसा कदम उठा रहा है। फाइनेंस मिनिस्ट्री और इकनॉमिक अफेयर्स मिनिस्ट्री आमतौर पर विदेश में रोड शो करती रही हैं। सेबी ने भी अपने फॉर्मर चेयरमैन यू के सिन्हा के कार्यकाल में ऐसी मीटिंग्स की थीं। दूसरे सूत्र ने कहा, आरबीआई को कस्टोडियन फॉरेन बैंकों से उनके टॉप क्लाइंट्स की लिस्ट पहले ही मिल चुकी है। वह डेट और इच्टिीज दोनों सेगमेंट में लॉन्ग टर्म फॉरेन इनवेस्टमेंट चाहता है। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी के डेटा के मुताबिक इस साल फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स ने घरेलू बाजार में नेट 5,915 करोड़ रुपये की बिकवाली की है जबकि 2018 में उन्होंने रिकॉर्ड 80,919 करोड़ रुपये निकाले थे।  अगले दो-तीन महीनों में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। इसको लेकर अनिश्चितता के चलते विदेशी निवेशक फ्रेश इनवेस्टमेंट से बच रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि आरबीआई गवर्नर खासतौर पर मॉनेटरी पॉलिसी पर सेंट्रल बैंक की स्थिति और देश की मैक्रो-इकनॉमिक कंडिशन के बारे में बात करेंगे। उनके बाद इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स के साथ सवाल-जवाब का दौर चलेगा। दास जानना चाहते हैं कि वह कौन सी चीज है जो ग्लोबल इनवेस्टर्स को इंडिया में लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट करने से रोक रही है जिससे देश में पूंजी की कमी महसूस हो रही है।

 

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