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23-Jan-2019 12:02:42 pm
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इलेक्ट्रिक टू-वीलर्स को बढ़ावा देने के लिए पेट्रोल वर्जन पर ग्रीन सेस!

नई दिल्लीे ,23 जनवरी । आने वाले दिनों में टू-वीलर खरीदने वालों को ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं। सरकार पेट्रोल से चलने वाले स्कूटरों और मोटरसाइकलों पर ग्रीन सेस लगाने पर विचार कर रही है। इस सेस से हासिल रकम से इलेक्ट्रिक टू-वीलर्स के लिए सब्सिडी दी जाएगी। प्रस्ताव के मुताबिक, 800-1000 रुपये का ग्रीन सेस पेट्रोल से चलने वाले टू-वीलर्स पर लगाया जा सकता है ताकि अगले दो-तीन वर्षों में दस लाख इलेक्ट्रिक टू-वीलर्स को सडक़ों पर उतारने की खातिर इंसेंटिव दिए जा सकें।
मामले से वाकिफ एक सीनियर अधिकारी ने बताया, अभी पेट्रोल और इलेक्ट्रिक टू-वीलर के दाम में 55000-6०० रुपये का अंतर है। इस गैप को जितना हो सके, कम करने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए प्रदूषण फैलाने वाली गाडिय़ों पर सेस लगाया जा सकता है। इस इनसेंटिव से इलेक्ट्रिक टू-वीलर्स के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, क्रूड ऑयल का आयात और गाडिय़ों से होने वाला प्रदूषण बढऩे से जुड़ी चिंता भी घटेगी।
इधर टू-वीलर्स पर ग्रीन सेस के प्रस्ताव पर विचार हो रहा है, उधर हीरो मोटोकॉर्प के सीएमडी पवन मुंजाल, बजाज ऑटो के एमडी राजीव बजाज, टीवीएस मोटर कंपनी के चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन जैसे लोग मोटरसाइकलों और स्कूटरों पर जीएसटी घटाने की मांग कर चुके हैं। सेफ्टी नॉर्म्स का स्तर बढ़ाए जाने और बीएस 6 एमिशन नॉर्म्स अपनाने के कारण इन टू-वीलर्स का दाम जल्द बढ़ेगा। 
अधिकारी ने बताया, टैक्स स्ट्रक्चर को लेकर कोई मसला हो, तो उस पर अलग से विचार किया जाएगा। ग्रीन सेस के कारण दाम बढऩे से इंक्रीमेंटल ग्रोथ कुछ कम हो सकती है। ग्रोथ में उस नरमी की भरपाई इलेक्ट्रिक टू-वीलर्स की बिक्री से की जा सकती है। हालांकि अगर 10 लाख इलेक्ट्रिक टू-वीलर्स की योजना पर अभी अमल नहीं किया जाएगा तो उसके बाद के 40 लाख को कभी सडक़ पर उतारा नहीं जा सकेगा, सप्लाई चेन भी नहीं बन पाएगी। साल 2018 में टू-वीलर्स की बिक्री 12.6 प्रतिशत बढक़र 2.16 करोड़ यूनिट रही थी।
सोसायटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के डायरेक्टर जनरल सोहिंदर गिल ने कहा, सभी संबंधित सरकारी विभागों की राय एक दिख रही है। अगर ठीक से प्रमोट किया जाए तो हम बहुत जल्द 10 लाख टू-वीलर्स को सडक़ों पर उतार सकते हैं। यह आंकड़ा छू लेने पर कंपोनेंट मेकर्स तेजी से निवेश करना शुरू करेंगे और देश में ही मैन्युफैक्चरिंग करेंगे। 
बैटरी, मोटर, कंट्रोलर, पावर यूनिट जैसे कंपोनेंट्स की बड़े पैमाने पर लोकल मैन्युफैक्चरिंग से अगले कुछ वर्षों में गाडिय़ों की लागत कम करने में मदद मिलेगी। होंडा मोटरसाइकल एंड स्कूटर इंडिया और टीवीएस मोटर कंपनी ने इस मामले में कमेंट करने से मना कर दिया। बजाज ऑटो ने इस प्रस्ताव से जुड़े सवालों का जवाब नहीं दिया। 
इस बीच, सूत्रों ने बताया कि फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक वीकल्स इंडिया स्कीम के दूसरे चरण को लागू करने के लिए तय 5500 करोड़ रुपये का उपयोग राज्य सरकारें इलेक्ट्रिक बसों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट में शामिल करने में करेंगी।

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