छत्तीसगढ़

21-Jan-2019 12:39:25 pm
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बस्तर के 25 प्रतिशत किसानों को भी नहीं मिल पाया चैंप्स योजना का लाभ

जगदलपुर, 21 जनवरी । किसानों को कृषि यंत्र देने में पारदर्शिता लाने शासन ने किसानों के लिए चैंप्स (छत्तीसगढ़ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन एंड माइक्रो एरिगेशन मॉनिटरिंग प्रॉसेस) सॉफ्टवेयर की शुरुआत की है, जिसकी मदद से अब किसानों को कृषि उपकरण खरीदने के लिए न तो परेशान होना पड़ेगा, न ही दलालों के चक्कर में पड़ कर अधिक कीमत चुकानी होगी, लेकिन किसानों को इस सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है। 
साल बीत गया लेकिन जिन किसानों का पंजीयन कृषि यंत्र देने के लिए किया गया था, उनमें से 25 फीसदी किसानों को यंत्र नहीं मिल पाए हैं। चैंप्स ने किसानों को स्प्रिंकलर देना बंद कर दिया है। किसानों को यह यंत्र फिर से देने चैंप्स योजना के प्रभारी द्वारा एक बार फिर से नए सिर से आवेदन किया जा रहा है। इस साल चैंप्स योजना के तहत 5122 किसानों को कृषि यंत्र देने के लिए पंजीयन किया गया था, लेकिन 9 महीने बाद केवल 1114 किसानों को ही इस योजना का लाभ मिल पाया, बाकी के किसानों को कब मिलेगा इसका कोई पता नहीं हैं। 
चेंप्स में किसानों को खेती के लिए कृषि यंत्र, सिंचाई पंप और ड्रिप और स्प्रिंकलर बांटने की योजना है। इसके लिए 70 फीसदी अनुदान भी दिया जाता है। इसके अलावा जो किसान यह उपकरण और सामान लेना चाहते हैं, उसे 30 फीसदी राशि जमा करनी होती है। इसके बाद ही उसे किसानों को प्रदाय किया जाता है। इतनी लंबी प्रक्रिया होने से अब इस साल पंजीयन कराने वाले किसानों की संख्या बहुत कम हो गई है। 
 चैंप्स गुजरात पैटर्न पर आधारित साफ्टवेयर है। इस प्रणाली के अंतर्गत यंत्र और उपकरण प्राप्त करने किसानों द्वारा ऑन लाइन आवेदन किया जाता है, जिसमें किसान अपनी पसंद की कम्पनी के उत्पाद और मॉडल आदि की जानकारी देते हैं। इसके बाद पंजीकृत कंपनियां किसानों से संपर्क कर उनसे अनुदान के लिए जरूरी आवश्यक अभिलेख लेकर बीज निगम को ऑन लाइन भेजती है। जिले में किसानों को इसका लाभ मिले इसके लिए इसमें 300 कंपनियों ने अपना पंजीयन करवाया है।  
कई किसानों को इसका लाभ मिले इसके लिए खनिज न्यास निधि से भी पैसे जमा किए जा रहे हैं। बस्तर जिले के किसान योजना का लाभ लेने के लिए पंजीयन तो करवा रहे हैं, लेकिन पैसा जमा नहीं कर रहे हैं, जिसके चलते उन्हें कृषि यंत्र नहीं मिल पा रहा है । तो वहीं दूसरी ओर चैंप्स योजना के प्रभारियों का कहना है कि किसान पंजीयन कराने के बाद सब्सिडी का पैसा जमा करने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं, जिसके चलते उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। 

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