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21-Jan-2019 12:23:12 pm
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भारतमाला के तहत 3 हजार किमी एक्सप्रेस-वे की तैयारी

0-4 हजार किमी ग्रीनफील्ड हाइवे बनाने का प्रस्ताव
नई दिल्ली ,21 जनवरी । केंद्र सरकार ने भारतमाला प्रॉजेक्ट के दूसरे चरण के तहत अब कुल 3 हजार किमी के एक्सप्रेस-वे बनाने की तैयारी शुरू की है। भारतमाला प्रॉजेक्ट के दूसरे चरण में सरकार ने कुल 3 हजार किमी के एक्सप्रेस-वे और करीब 4 हजार किमी नए ग्रीनफील्ड हाइवे बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस प्रॉजेक्ट की शुरुआत से पहले भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अब जरूरी तैयारियां करने में जुटा हुआ है।
सरकार साल 2024 तक भारत में 3 हजार किमी नए एक्सप्रेस-वे बनाने की तैयारी कर रही है। नई योजना के तहत वाराणसी-रांची-कोलकाता, इंदौर-मुंबई, बेंगलुरु-पुणे और चेन्नै-त्रिचि के बीच एक्सप्रेस-वे बनाने का प्रस्ताव रखा गया है। सरकार ने इन एक्सप्रेस-वे पर 120 किमी की रफ्तार से वाहन दौड़ाने की अनुमति देने का फैसला किया है। इसके लिए सरकार जल्द ही डीपीआर निर्माण का काम भी शुरू कराने जा रही है।
तय समय पर काम पूरा कराने का लक्ष्य 
अधिकारियों का कहना है कि भारतमाला प्रॉजेक्ट के पहले चरण के लिए डीपीआर बनाने में ही 2 साल का वक्त लग गया था, ऐसे में फेज-2 के लिए अभी से प्रॉजेक्ट रिपोर्ट बन जाने पर समय और चलिटी दोनों का ध्यान रखा जा सकेगा। एनएचएआई के अफसरों का यह भी कहना है कि अगर डीपीआर में कोई कमी होती है तो इसका सीधा असर हाइवे प्रॉजेक्ट्स के निर्माण कार्य पर पड़ता है और कई बार देरी के चलते योजना की लागत भी बढ़ जाती है। ऐसे में अब से इस प्रकार की स्थिति ना हो, इसके लिए पहले ही डिटेल्ड प्रॉजेक्ट रिपोर्ट बनाने के लिए कंपनियों को आमंत्रित किया गया है।
4 हजार किमी नए हाइवे भी बनेंगे 
साथ ही सरकार ने कुछ प्रमुख शहरों के बीच करीब 4 हजार किमी के नए ग्रीनफील्ड हाइवे बनाने की तैयारी भी शुरू की है। इस योजना के तहत पटना से राउरकेला, झांसी से रायपुर, सोलापुर से बेलगाम, गोरखपुर से बरेली और वाराणसी से गोरखपुर के बीच नए राजमार्ग बनाए जाने हैं। इन शहरों के बीच मौजूदा रोड कॉरिडोर को विस्तार देने की बजाए अब ग्रीनफील्ड हाइवे का निर्माण होगा, जिससे कि जमीन अधिग्रहण में होने वाली देरी, जमीन हासिल करने के लिए दी जाने वाली अधिक कीमत और अतिक्रमण हटाने जैसी समस्याओं से बचा जा सकेगा। सूत्रों के मुताबिक, इन सडक़ों के निर्माण के लिए 2024 तक की समयसीमा निर्धारित की गई है।
प्रॉजेक्ट की देरी रोकने के लिए भी फैसले 
सभी के साथ हाइवे निर्माण के काम को तय समय पर पूरा करने के लिहाज से नैशनल पार्क और बर्ड सेंक्चुरी के आसपास से सडक़ निर्माण ना कराने का सुझाव भी दिया गया है। सरकार का मानना है कि अक्सर रोड बिल्डिंग प्रॉजेक्ट्स वन विभाग और अन्य क्लियरंस के चक्कर में अधर में अटक जाते हैं, ऐसे में डीपीआर तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखा जाए। भले ही इसके लिए सडक़ की लंबाई और बढ़ानी ही क्यों ना पड़े।

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