छत्तीसगढ़

20-Jan-2019 11:45:51 am
Posted Date

राख का उपयोग करने में नाकाम, मुख्य अभियंता के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश

कोरबा 20 जनवरी । छत्तीसगढ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी कोरबा पूर्व प्लांट से निकलने वाले राख का उपयोग करने में नाकाम रहने पर प्रबंधन के खिलाफ  एडीजे कोर्ट ने वायु प्रदूषण और पर्यावरण संरक्षण के नियमों के उल्लंघन का मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। प्लांट के भार साधक अधिकारी और तत्कालीन मुख्य अभियंता एन एस रावत को आरोपी बनाया गया है। मामले की अगली सुनवाई चार फरवरी को चीफ  ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के कोर्ट में होगी।
पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिवक्ता लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने बताया कि कोरबा थर्मल पॉवर प्लांट में प्रतिदिन 3500 टन कोयले की खपत है। कुल खपत का 42 फीसदी राख निकलता है। औसत 1470 टन हवा में मिल जाती है। उद्योग से लगातार वायु प्रदूषण किया जा रहा है। प्लांट राख की उपयोगिता में फेल हुआ है। राख के उपयोग को लेकर पर्यावरण संरक्षण मंडल ने प्लांट को समय.समय पर केंद्र सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन को बताया था। इसके बाद भी प्रबंधन ने राख की उपयोगिता सुनिश्चित करने में गंभीरता नहीं दिखाई। इस पर पर्यावरण संरक्षण मंडल ने कोरबा थर्मल पॉवर प्लांट के खिलाफ  कोरबा के चीफ  ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के कोर्ट में परिवाद दायर किया था। प्रबंधन के भार साधक अधिकारी और मुख्य अभियंता एन एस रावत को आरोपी बनाने की मांग की थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने परिवाद को निरस्त कर दिया था। इसके खिलाफ  संरक्षण मंडल के अधिवक्ता ने अपर सत्र न्यायाधीश विशेष कोर्ट योगेश पारीक की अदालत में पुनरीक्षण याचिका दायर की थी। कोर्ट ने सुनवाई के बाद सीजेएम कोर्ट के फैसले को पलटते हुए थर्मल पॉवर प्लांट भार साधक अधिकारी और मुख्य अभियंता एन एस रावत के खिलाफ  मुकदमा चलाने का आदेश दिया है।

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