जगदलपुर, 19 जनवरी । केंद्र सरकार की गरीब तबके को 10 फीसदी आरक्षण देने संविधान में संशोधन के लिए लोकसभा और राज्यसभा में पारित होने के बाद लोग अपनी पात्रता तलाशने में लगे हैं।
बस्तर में कुल करीब 12 लाख 65 हजार लोग हैं, जिनमें से आरक्षित वर्ग अजा में 14759 और अजजा वर्ग में 520779 लोग हैं। इसके बाद करीब 7 लाख 30 हजार लोग अब भी अनारक्षित हैं। आरक्षित वर्गों को पहले से ही आरक्षण का फायदा तो मिल रहा है, लेकिन अनारक्षित वर्ग के सवा 7 लाख लोगों में कई ऐसे भी हैं, जो गरीब तो हैं, लेकिन उन्हें कोई भी फायदा न तो शिक्षा में और न ही नौकरी में मिल पा रहा है। इन हालातों में अब इन सवा 7 लाख लोगों की उम्मीदें भी जगी हैं, पर केंद्र सरकार के तय मानकों में फिट बैठ पाने पर अब भी संदेह है। इन सवा 7 लाख लोगों में से करीब 55 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिनकी कुल वार्षिक आय 8 लाख से ज्यादा है। करीब 85 फीसदी लोगों के पास 1000 वर्गफीट से ज्यादा जगह है। 15 से 25 फीसदी लोगों को ही इस आरक्षण का फायदा मिल पाने की बात कही जा रही है।
संशोधन के मुताबिक परिवार की कुल आय 8 लाख से कम, 1000 वर्गफीट से कम जमीन पर मकान, 5 एकड़ से कम जमीन को मानक बनाया गया है। ऐसे में आय की श्रेणी में अधिकांश लोग पात्र तो हैं, लेकिन जमीन के मामले में आरक्षण कटता दिख रहा है। अनारक्षित वर्ग के अधिकांश लोगों के पास 1000 वर्गफीट से ज्यादा जमीन पर मकान या कब्जा है। इसके चलते आरक्षण का फायदा लेने वाले करीब 15 से 25 फीसदी लोग ही पात्र माने जा रहे हैं।
साल 2011 में हुए जनसंख्या सर्वेक्षण में ग्रामीण क्षेत्र में कुल जनसंख्या 698864 और शहरी क्षेत्र में 135511 थी। वहीं इसमें हिंदुओं की संख्या 1265787, मुस्लिम 10335, सिख 2329, इसाई 17379, जैन 3915, बौद्ध 944, अन्य 4734 और 1250 ऐसे परिवार हैं, जिनके धर्म को लेकर कोई भी जानकारी सांख्यिकी विभाग के पास मौजूद नहीं है। हिंदुओं में अनारक्षित के साथ अजजा वर्ग के भी लोग शामिल हैं। ऐसे में अनारक्षित वर्ग में 7 लाख 45 हजार लोग मौजूद हैं। इसके अलावा मुस्लिम, सिख, इसाई, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों के चलते संख्या करीब 8 लाख से ज्यादा है।