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16-Jan-2019 9:22:10 am
Posted Date

पुलिस के पास तीन तरह के सबूत

0-जेएनयू नारेबाजी
नई दिल्ली ,16 जनवारी । 9 फरवरी 2016 को जेएनयू में कथित देश विरोधी नारेबाजी मामले में राजधानी दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल 1200 पन्नों की चार्जशीट में तीन तरह के सबूत हैं। सूत्रों का कहना है कि फाइनल रिपोर्ट में जिन 10 युवकों को मुख्य आरोपी बनाया गया है, उन सबके खिलाफ ओरल, इलेक्ट्रॉनिक और डॉक्युमेंट्री सबूत हैं।
जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि कन्हैया कुमार को अन्य आरोपी उमर खालिद की ओर से टेक्स्ट मेसेज भेजे गए थे, जिनमें उन्हें साबरमती ढाबा पहुंचने के लिए कहा गया था। इस मेसेज की जांच फरेंसिक लैब से कराई गई और उसके बाद इसे इलेक्ट्रॉनिक सबूत के तौर पर लिस्ट में शामिल किया गया। पुलिस का कहना है कि विडियो फुटेज के मुताबिक कन्हैया उन स्टूडेंट्स का नेतृत्व करते दिखाई दिए, जो देश विरोधी नारेबाजी कर रहे थे। पुलिस ने बताया कि गवाहों ने भी उन्हें पहचाना और मैजिस्ट्रेट के सामने उनके बयान भी दर्ज किए गए हैं। सीआरपीसी की धारा 164 के तहत उनके बयान दर्ज किए गए हैं, जो कोर्ट में सबूत के तौर पर मान्य हैं।
कार्यक्रम के बाद साउथ डिस्ट्रिक्ट पुलिस द्वारा दर्द एफआईआर में तत्कालीन जेएनयूएसयू प्रेजिडेंट का नाम भी शामिल है। उस वक्त जेएनयू के चीफ प्रॉक्टर ने भी उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें सस्पेंड कर दिया था। पुलिस ने इसका भी जिक्र किया। पुलिस द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट के मुताबिक, किसी भी गवाह ने उमर खालिद के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन उनके खिलाफ इलेक्ट्रॉनिक सबूत मौजूद हैं। द इंडियन कंप्यूटर इमर्जेंसी रेस्पॉन्स टीम(सीईआरटी-आईएन) ने कार्यक्रम से जुड़े पैंम्फ्लेट उनकी ईमेल आईडी से बरामद किए हैं, जिसमें उनका नाम ऑर्गनाइजर के रूप में अंकित है।
इनके अलावा, पुलिस ने कॉल डिटेल्स खंगाले, जिनके मुताबिक खालिद ने सह आरोपी मुजीब गट्टू, मुनीब उमेर गुल, अनिर्बान भट्टाचार्य और कन्हैया कुमार से कार्यक्रम के बारे में बात की थी। परमिशन लेटर की फरेंसिंक जांच से यह पता चलता है कि उमर ने दो फर्जी हस्ताक्षर किए थे। 
ईमेल आईडी से कार्यक्रम के पैंफ्लेट्स बरामद होने और विडियो फुटेज में देशविरोधी नारेबाजी का समर्थन करते दिखाई देने के बाद पुलिस ने अनिर्बान भट्टाचार्य का नाम भी चार्जशीट में शामिल किया। अनिर्बान की मोबाइल लोकेशन भी कार्यक्रम स्थल मिली थी। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक वेन्यू के लिए ऑरिजनल प्रोफार्मा में भी अनिर्बान का नाम था और हस्ताक्षर भी थे। चार्जशीट में कश्मीरी स्टूड़ेंट आकिब के खिलाफ कोई डॉक्युमेंट्री सबूत नहीं है। हालांकि प्रफेसर द्वारा शूट किए गए विडियो में वह दिखाई रहा है।

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