0-बिना चीर-फाड़ के पैर की नस के जरिए लगाए जाएंगे
जयपुर ,15 जनवरी । हार्ट वॉल्व की समस्या वाले मरीजों के लिए राहत की खबर है। दरअसल केंद्र सरकार ने मेड इन इंडिया हार्ट वॉल्व लगाने को मंजूरी दे दी है और इसका फायदा यह होगा कि हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी पहले के मुकाबले अब 10 लाख रुपए तक सस्ती हो जाएगी। यही नहीं बिना ओपन हार्ट सर्जरी के पैर की नस से वॉल्व लगाया जाएगा।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, वॉल्व लगाने के लिए देशभर से 65 मरीज चुने गए। इंवेस्टीगेटर टीम बनी। इस चार सदस्यीय टीम में जयपुर के दो डॉक्टर थे। सबसे ज्यादा 11 ट्रायल राजस्थान में हुए। राजस्थान में 30 जून 2017 को ट्रायल के लिए पहला ऐसा वाल्व लगाया गया। 11 मरीजों की डेढ़ साल मॉनीटरिंग की गई। फिर एथिक्स कमेटी को रिपोर्ट सौंपी गई। अब अप्रूवल के बाद पहला इंडियन हार्ट वाल्व ईएचसीसी हॉस्पिटल में 22 जनवरी को लगाया जाएगा। गोवा के मरीज की यह रिप्लेसमेंट सर्जरी डॉ. रविन्द्र सिंह राव करेंगे।
इंटरनेशनल कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ. समीन शर्मा और डॉ. रविन्द्र सिंह राव ने बताया कि 65-70 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए यह एक बेहतर तकनीक है। इससे हार्ट ओपन नहीं करना पड़ता तो खतरा 80 प्रतिशत कम होता है। एक सप्ताह के बाद व्यक्ति सभी काम कर सकता है। इंफेक्शन का खतरा भी कम हो जाता है। इंवेस्टीगेटर टीम, एथिक्स कमेटी और डीजीसीआई (ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) की रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार ने पिछले साल अक्टूबर के अंतिम हफ्ते में इसे मंजूरी दे दी है।
बता दें कि वर्तमान में विदेशी हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी के लिए निजी अस्पताल करीब 25 लाख रुपये तक लेते हैं, मगर अब यह सर्जरी 12 से 15 लाख रुपये में संभव हो सकेगी। विदेशी कंपनियों का हर साल का 100 करोड़ रुपए से भी अधिक का कारोबार हार्ट वॉल्व का है। ऐसे में जब मेड इन इंडिया वॉल्व लगने शुरू होंगे तो वे कड़ी टक्कर देने की कोशिश करेंगे। जानकारों की मानें तो सिर्फ अगले 2 साल के अंदर विदेशी वॉल्व की खपत आधी रह जाएगी। जब लगातार यह वॉल्व इस्तेमाल किए जाएंगे तो इनकी कीमत और कम होगी। वॉल्व सस्ते होने के साथ-साथ बेहतर चलिटी के भी हैं। गौरतलब है कि शरीर में चार हार्ट वॉल्व होते हैं। इनका काम एक दिशा में रक्त का प्रवाह बनाए रखना होता है। जब 1 या ज्यादा वॉल्व लीक करने लगते हैं तो खून वापस आने लगता है।