छत्तीसगढ़

15-Jan-2019 12:37:27 pm
Posted Date

देवेंद्र अब तक पकड़ चुके हैं 39 हज़ार जहरीले सांप, 4 अजगर भी

० बस्तर में भी पाया जाता है पिट-वाइपर, जिसे कहते हैं ऐराज
जगदलपुर, 15 जनवरी । बस्तर, जिसका अधिकतम हिस्सा हरे-भरे वनों से अच्छादित है वहाँ हिंसक वन्यजीवों तथा जहरीले सर्पों का पाया जाना आम बात है। ऐसे वनाच्छादित बस्तर में जहाँ डर के मारे इन साँपों को ग्रामीण देखते ही मार देते हैं, एक इंसान ऐसा भी है जो इन्हें खूबसूरत प्राकृतिक जीव मानते हुए इन्हें अपना दोस्त मानता है। बोधघाट थाने में पदस्थ सहायक आरक्षक देवेन्द्र दास को इन साँपों को पकड़ते हुए जिसने भी देखा तो दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर होना पड़ा। 
इस सम्बन्ध में जब देवेन्द्र से बात की गयी तो उन्होंने बताया की यह उनका पुश्तैनी काम है, जिसे उन्होंने अपने पिता से महज आठ वर्ष की उम्र से सीखा और तब से लेकर आज पर्यंत तक वे रोजाना औसतन 3-4 सांप पकड़ते हैं। देवेन्द्र बताते हैं कि वे अब तक जगदलपुर सहित कोंडागांव, मर्दापाल, भानपुरी, केशकाल, सोनारपाल, बनियागाँव, उसरीबेड़ा और बस्तर के कई दूरस्थ अंचलों में जाकर लगभग 39 हज़ार जहरीले साँपों को पकड़ चुके हैं, जिनमें 4 बड़े आकर के अजगर सहित नाग, करैत, ऐराज़ (पिट वाइपर), धामना और कोलियारी (हरा) भी शामिल हैं। उनका कहना है कि इनमे से नाग, करैत और ऐराज़ सबसे ज्यादा जहरीले हैं।
देवेन्द्र का कहना है कि संभाग के अन्य स्थानों की तुलना में जगदलपुर में ज्यादा सांप पाए जाते हैं। यहाँ का वातावरण ठंडा है और उनके रहने के लायक है। प्रजनन के वक्त ये सांप ठंडे स्थानों को ही अपना ठिकाना बनाते हैं। अब तक देवेन्द्र को 20-25 बार इन जहरीले साँपों ने काटा है, लेकिन उनका कहना है की उन पर इसका कोई असर नहीं होता है, कभी-कभार ही जरुरत पडऩे पर वे पुश्तैनी तरीकों के माध्यम से अपना इलाज स्वयं कर लेते हैं।
इलाज के विषय में उन्होंने बताया कि कई दफा सांप के काटे जाने के बाद जहर से कम और डर से ज्यादा इंसान की मौत हो जाती है। अब तक उनकी जानकारी में इससे लगभग 100 लोगों की मौत हो चुकी है। देवेन्द्र के अनुसार उनके पास कुछ ऐसे इलाज है, जिससे 5-6 घंटों के अन्दर ही स्वस्थ्य हो जाता है। देवेन्द्र की दिली इच्छा है की उन्होंने जितने सांप पकड़े हैं, उनको संरक्षित करने और आम जनता में इनके प्रति प्यार और सहानुभूति जगाने एक संग्रहालय खोला जा सकता था, उनका कहना है की सरकार को इस ओर पहल करनी चाहिए।
आम जनता और बस्तर के ग्रामीणों को सलाह देते हुए देवेन्द्र ने बताया कि ये सांप बहुत ही सुन्दर और प्यारे प्राकृतिक जीव हैं, इन्हें मारे नहीं, वरन प्यार करें और किसी सांप पकडऩे वाले को बुलाएं, जिससे बस्तर में इनकी प्रजाति सुरक्षित हो सके।

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