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25-Mar-2023 3:06:28 am
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अमेरिका-यूरोप में डूब रहे बैंक, खतरे में भारत की आईटी कंपनियां- लाखों नौकरियों पर छंटनी की तलवार

नई दिल्ली । अमेरिका से शुरू हुए बैंकिंग संकट से अब भारत समेत दुनियाभर के बैंकिंग सेक्टर की चिंता बढ़ रही है। अभी तक अमेरिका के दो बैंक डूब चुके हैं, लेकिन अंदेशा है की अगर फेड रिजर्व ब्याज दरों में इजाफा करता रहा तो इससे कई और बैंकों पर संकट आ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो फिर इसका असर भारत की आईटी इंडस्ट्री पर भी पड़ सकता है।
आशंका है कि अगर दुनिया के बड़े बैंकों के डूबने का सिलसिला जारी रहा तो फिर इस सेक्टर का रेवेन्यू बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। ये बैंक अपने मौजूदा टेक बजट में कटौती करने के साथ ही आगे के सौदे भी बंद कर सकते हैं। अगर बैंकिंग संकट गहराता है तो इसका सबसे ज्यादा असर ञ्जष्टस्, इन्फोसिस, विप्रो और एलटीआईमाइंडट्री पर पड़ सकता है। इसकी वजह है कि इन कंपनियों का अमेरिका के फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के साथ सबसे ज्यादा बिजनस है।
दरअसल सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक के डूबने के बाद कई दूसरे बैंक अपना वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यूरोप के सबसे बड़े बैंकों में से एक क्रेडिट सुइस की हालत खराब है। अब इसका असर भारत में भी देखा जाने लगा है। इससे भारत का 245 अरब डॉलर का ढ्ढञ्ज बिजनस प्रोसेस मैनेजमेंट इंडस्ट्री का भविष्य खतरे में है। इस इंडस्ट्री का 41 फीसदी रेवेन्यू बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज एंड इंश्योरेंस यानी क्चस्नस्ढ्ढ सेक्टर से आता है।
अगर अलग-अलग ढ्ढञ्ज कंपनियों के कुल रेवेन्यू में भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी देखें तो विप्रो का 35 फीसदी रेवेन्यू क्चस्नस्ढ्ढ से है, ञ्जष्टस् के कुल राजस्व में क्चस्नस्ढ्ढ की हिस्सेदारी 31.5 फीसदी, इन्फोसिस के कुल रेवेन्यू में क्चस्नस्ढ्ढ का योगदान 29.3 फीसदी, ॥ष्टरु के कुल राजस्व में क्चस्नस्ढ्ढ की हिस्सेदारी 20 परसेंट और टेक महिंद्रा का 16 फीसदी हिस्सा क्चस्नस्ढ्ढ से आता है। इस सेक्टर में इस संकट के गहराने से लाखों नौकरियों पर ख़तरा मंडरा सकता है। ऐसे में अगर इन कंपनियों को नुक़सान हुआ तो फिर छंटनी, वेतन कटौती से लेकर हायरिंग तक में कमी जैसी हालात पैदा हो सकते हैं।

 

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