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14-Jan-2019 11:32:01 am
Posted Date

फंसे कर्जों पर बढिय़ा प्रदर्शन करने वाले बैंकों को मिलेगा आरबीआई से तोहफा

नई दिल्ली ,14 जनवारी । वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बीच जल्द ही स्ट्रेस्ड बैंकों के लिए प्रॉम्प्ट करेक्टिव ऐक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क में ढील पर सहमति बन सकती है। यह राहत उन बैंकों को ही मिलेगी, जिन्होंने बैड लोन की समस्या को हल करने में अच्छी पहल की है। अभी 11 सरकारी और एक प्राइवेट बैंक पीसीए फ्रेमवर्क के तहत हैं। जिन बैंकों को पीसीए में डाला जाता है, उनके जोखिम वाले कर्ज देने और ब्रांच की संख्या बढ़ाने पर रोक लग जाती है। ऐसे बैंकों पर दूसरी पाबंदियां भी लगाई जाती हैं।
इस मामले में चल रही बातचीत से वाकिफ एक सरकारी अधिकारी ने बताया, हम सारे बैंकों को पीसीए से बाहर करने के लिए नहीं कह रहे हैं। हम सिर्फ उन बैंकों के लिए यह राहत चाहते हैं, जिन्हें इससे रिकवरी में मदद मिलेगी। अधिकारी ने बताया कि कुछ बैंक तो फरवरी में ही पीसीए से बाहर आ सकते हैं। सरकार को लगता है कि हाल में सरकारी बैंकों को फंड दिए जाने के बाद कैपिटलाइजेशन को लेकर उनकी स्थिति सुधरी है। इसलिए उन्हें पीसीए से बाहर करने का आधार बनता है। 
ऊपर जिस अधिकारी का जिक्र किया गया है, उन्होंने कहा, हमने सरकारी बैंकों की फंडिंग की समस्या दूर कर दी है। इन बैंकों ने न सिर्फ लोन रिकवरी में प्रगति की है बल्कि उन्होंने अपने पोर्टफोलियो का रिस्क भी काफी घटाया है। पिछले महीने सरकार ने पब्लिक सेक्टर के बैंकों को और 41 हजार करोड़ रुपये देने का ऐलान किया था। इससे वित्त वर्ष 2019 में पब्लिक सेक्टर के बैंकों को सरकार से मिलने वाली कुल रकम 65 हजार करोड़ रुपये से बढक़र 1.06 लाख करोड़ रुपये हो गई। इससे पहले 19 नवंबर को आरबीआई की बोर्ड मीटिंग हुई थी। उस वक्त उर्जित पटेल रिजर्व बैंक गवर्नर थे। इस मीटिंग में पीसीए नॉर्म्स में कुछ ढील देने पर विचार करने को लेकर सहमति बनी थी।
अधिकारी ने बताया, वित्त वर्ष 2019 की पहली छमाही में पब्लिक सेक्टर के बैंकों का ग्रॉस बैड लोन 23,860 करोड़ रुपये कम हुआ है। इस दौरान 60 हजार करोड़ की रेकॉर्ड रिकवरी हुई है। रिजर्व बैंक ने इसका नोटिस लिया है। इस बीच, संसदीय समिति की एक रिपोर्ट में भी स्ट्रेस्ड बैंकों के पीसीए फ्रेमवर्क के रिव्यू की सलाह दी गई है। समिति ने कहा, यह पता नहीं है कि ये बैंक किस तरह से मौजूदा बंदिशों के बीच अपने कामकाज को पटरी पर लाएंगे। इनमें से कुछ के तो डिपॉजिट लेने तक पर रोक लगा दी गई है। उसने कहा था कि इसका बैंकिंग सेक्टर और इकॉनमी पर बुरा असर पड़ सकता है।

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