व्यापार

26-Feb-2023 3:35:17 am
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वैश्विक संकट से भारत में विदेशी निवेश घटा

नईदिल्ली । रूस-यूक्रेन संघर्ष से उपजी उच्च महंगाई दर, मौद्रिक नीति में सख्ती और प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की स्थिति जैसी चुनौतियों के कारण भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की आवक घटी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अधिकारी ने कहा, ‘वैश्विक स्तर पर तमाम वजहें हैं, जिसके कारण एफडीआई प्रवाह में मामूली कमी आई है। कोविड-19 के दौरान हमने देखा कि सॉफ्टवेयर सेक्टर में बहुत ज्यादा एफडीआई आया है और आवक को मजबूती मिली। अमेरिका ने एक साल के अंदर अपनी ब्याज दर 0.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.75 प्रतिशत कर दी। ब्रिटेन, नीदरलैंड, सिंगापुर में भी पिछले एक साल के दौरान ब्याज दरों में बढ़ोतरी हुई है। वेंचर कैपिटल फंड भी कम हो गया है।’
यह बयान ऐसे समय में आया है, जब प्रत्यक्ष विदेशी इक्विटी निवेश में चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 3 महीने में 15 प्रतिशत की कमी आई है। कुल एफडीआई में गैर निगमित निकायों की इक्विटी पूंजी, पुनर्निवेश कमाई व अन्य पूंजी आती है, यह 55 अरब डॉलर रह गई है और इसमें एक साल पहले की समान अवधि के 60.4 अरब डॉलर की तुलना में 8 प्रतिशत की गिरावट आई है।
पिछले वित्त वर्ष के दौरान एफडीआई इक्विटी प्रवाह में 1 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिसमें वित्त वर्ष 21 और वित्त वर्ष 20 में क्रमश: 19 प्रतिशत और 13 प्रतिशत की तेज बढ़ोतरी हुई थी।
अधिकारी के मुताबिक जहां तक 2022 कैलेंडर वर्ष का सवाल है, एफडीआई के प्रवाह में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
अगर आगे की स्थिति देखें तो उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) की एफडीआई नीति, दी जा रही सुविधाओं और आंकड़ों से पता चलता है कि भारत आने वाले महीनों में ज्यादा विदेशी निवेश आकर्षित कर सकेगा।
बड़ी संख्या में प्रस्ताव कतार में हैं। वहीं अगले वित्त वर्ष में इस तरह के निवेश जमीनी स्तर पर नजर आने लगेंगे। विदेशी निवेश आकर्षित करने वाले प्रमुख क्षेत्रों में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा, औषधि और मेडिकल उपकरण क्षेत्र शामिल हैं।
इसके अलावा प्रधानमंत्री की प्रमुख उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना लागू की गई है, उन क्षेत्रों में भी निवेश में वृद्धि होगी। ऐसे क्षेत्रों में ड्रग्स ऐंड फार्मास्यूटिकल्स, खाद्य प्रसंस्करण और मेडिकल उपकरण शामिल हैं।
बुधवार को डीपीआईआईटी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक सिंगापुर सबसे बड़ा निवेशक देश रहा है, जहां से अप्रैल-दिसंबर के दौरान 13.07 अरब डॉलर इक्विटी पूंजी आई है। इसके बाद अमेरिका से 4.95 अरब डॉलर, मॉरीशस से 4.73 अरब डॉलर, संयुक्त अरब अमीरात से 3.1 अरब डॉलर, नीदरलैंड से 2.16 अरब डॉलर, ब्रिटेन से 1.61 अरब डॉलर, जापान से 1.43 अरब डॉलर, साइप्रस से 1.15 अरब डॉलर, केमन आइलैंड से 62.4 करोड़ डॉलर और जर्मनी से 35 करोड़ डॉलर आए हैं। भारत में एफडीआई इक्विटी प्रवाह वाले ये शीर्ष 10 देशों में शामिल हैं।
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के विनिर्माण क्षेत्र में सबसे ज्यादा 8.07 अरब डॉलर आया है। इसके बाद सेवा क्षेत्र में 6.56 अरब डॉलर आया है, जिसमें वित्तीय, बैंकिंग, बीमा और आउटसोर्सिंग के साथ अन्य क्षेत्र शामिल हैं। दूरसंचार और ट्रेडिंग सेक्टर में क्रमश: 5.33 अरब डॉलर और 4.14 अरब डॉलर आए हैं।
एक अन्य सरकारी अधिकारी ने कहा कि 60 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 5 सेक्टरों कंप्यूटर हार्डवेयर, सेवा, ट्रेडिंग, कंस्ट्रक्शन और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में आया है।
अधिकारी ने कहा, ‘इनमें से कई सेक्टर जैसे ऑटोमोबाइल और आईटी हार्डवेयर क्षेत्र सेमीकंडक्टर संकट की वजह से प्रभावित हुए हैं।’

 

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