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26-Feb-2023 3:34:05 am
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एमएफ के लिए छोटे शहरों से जुड़े प्रोत्साहन खत्म करेगा सेबी

नईदिल्ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड फंड कंपनियों को छोटे शहरों से परिसंपत्तियां जुटाने के लिए मिलने वाले अतिरिक्त प्रोत्साहन को खत्म कर सकता है।
म्युचुअल फंड उद्योग में इन छोटे केंद्रों को बी30 के नाम से भी जाना जाता है। अभी फंड कंपनियां बी30 केंद्रों से परिसंपत्तियां जुटाने के लिए कुल एक्सपेंस रेश्यो (परिसंपत्ति प्रबंधन के खर्च की दर) से 30 आधार अंक अधिक वसूल सकती हैं।
सूत्रों ने कहा कि नियामक बी30 प्रोत्साहन खत्म करने की योजना बना रहा है और नए निवेशकों को जोडऩे के लिए वितरकों को (चाहे वे किसी भी शहर में हों) एकबारगी शुल्क लेने की अनुमति दे सकता है। मगर यह एकबारगी शुल्क कुल एक्सपेंस रेश्यो का हिस्सा होगा। इससे फंड कंपनियों के पास वितरकों को अतिरिक्त प्रोत्साहन देने की गुंजाइश कम हो जाएगी।
बी-30 प्रोत्साहन इसलिए शुरू किया गया था ताकि बड़े शहरों के साथ छोटे शहरों में भी म्युचुअल फंड फैल सकें। मगर कहा जा रहा है कि वितरक अधिक आय अर्जित करने के लिए मौजूदा व्यवस्था का दुरुपयोग करते हैं। इसीलिए सेबी यह कदम उठा सकता है। इस प्रोत्साहन का भुगतान निवेश के पहले साल ही किया जाता है मगर कुछ वितरक हर साल निवेशक के पैसे एक फंड से दूसरे में भेज देते हैं ताकि उन्हें हर बार प्रोत्साहन राशि मिलती रहे।
सूत्रों ने कहा कि नियामक ने म्युचुअल फंडों द्वारा वसूले जाने वाले शुल्क और एक्सपेंस रेश्यो का पूरा अध्ययन किया है और इस मसले पर म्युचुअल फंड परामर्श समिति के साथ चर्चा की है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड इन इंडिया (एम्फी) तथा फंड कंपनियों से इस पर राय मांगी गई है।
कुल एक्सपेंस रेश्यो का मतलब संबंधित योजना के प्रबंधन में फंड कंपनी द्वारा किया गया खर्च है। नियामक ने कुल एक्सपेंस रेश्यो की अधिकतम सीमा तय कर दी है। सक्रिय इक्विटी फंड योजना के तहत प्रबंधनाधीन प्रबंधन का अधिकतम 2.25 फीसदी एक्सपेंस रेश्यो वसूला जा सकता है। डेट योजना में अधिकतम 2 फीसदी वसूलने की अनुमति है।
इस समय बी-30 केंद्रों से निवेशकों को जोडऩे के लिए फंड कंपनियां कुल एक्सपेंस रेश्यो से 30 आधार अंक ज्यादा वसूल सकती हैं। इसके अलावा म्युचुअल फंडों द्वारा प्रतिभूतियों को खरीदे और बेचे जाने पर भी कुछ खर्च होता है।
कुल एक्सपेंस रेश्यो से इतर कोष प्रबंधन पर 18 फीसदी जीएसटी भी वसूला जाता है। सेबी इन सभी खर्चों को कुल एक्सपेंस रेश्यो के दायरे में लाने की संभावना तलाश रहा है।
बाजार के भागीदारों ने कहा कि कई योजनाओं में सेबी द्वारा स्वीकृत सीमा से कम एक्सपेंस रेश्यो वसूला जाता है। यदि जीएसटी तथा अन्य खर्चों को कुल एक्सपेंस रेश्यो में शामिल किया जाता है तो फंड कंपनियों को यह अनुपात बढ़ाना पड़ सकता है।
सेबी कई वर्षों से म्युचुअल फंड निवेशकों के लिए निवेश की लागत कम करने का प्रयास कर रहा है। पिछली बार नियामक ने कुल एक्सपेंस रेश्यो घटाने की घोषणा की थी और अधिकतर एएमसी ने इस कटौती का भार वितरकों पर डालकर अपना मार्जिन बचाया था।
अक्टूबर 2018 में सेबी ने दो बदलाव किए थे- पहला कुल एक्सपेंस रेश्यो कम करना और दूसरा वितरकों को दिए जाने वाले अग्रिम कमीशन पर रोक लगाना।
कुल एक्सपेंस रेश्यो में कटौती का भार वितरकों पर डाले जाने से उद्योग में वितरकों की संख्या कम हो गई थी। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2020 में नए वितरकों के पंजीकरण में 2019 के मुकाबले 51 फीसदी कमी आई थी। वित्त वर्ष 2021 में भी इनमें 35 फीसदी कमी आई।

 

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