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15-Feb-2023 3:47:50 am
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महंगाई का अप्रत्याशित झटका, खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी में उछलकर 6.52 फीसदी पर पहुंची

नयी दिल्ली । खुदरा मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रा स्फीति जनवरी में उछलकर फिर भारतीय रिजर्व बैंक की लक्षित छह प्रतिशत की सीमा को पार करते हुए 6.52 प्रतिशत पर पहुंच गयी जबकि दिसंबर में यह 5.72 फीसदी थी।
जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर के बाद खुदरा मुद्रा स्फीति का यह सबसे ऊंचा स्तर है और इससे रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी)की अगली समीक्षा बैठक में नीतिगत ब्याज दर में वृद्धि का सिलसिला थमने की संभावना क्षीण हो गयी है।
एमपीसी की पिछले सप्ताह हुई बैठक में नीतिगत ब्याज दर को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत कर दिया गया था।
जनवरी में खाद्य मुद्रास्फीति 4.19 प्रतिशत की तुलना में 5.94 प्रतिशत रही जबकि प्रमुख खुदरा मुद्रास्फीति (खाद्य एवं
ईंधन को छोडक़र) 6.09 प्रतिशत पर इससे पिछले माह के स्तर पर बनी रही। दिसंबर में प्रमुख मुद्रास्फीति 6.10 प्रतिशत थी। खुदरा मुद्रास्फीति में खाद्य मुद्रास्फीति का भारांश 40 प्रतिशत है। जनवरी में अनाज और दूध के दामों में इजाफा बना रहा। अनाज की कीमतें जनवरी में एक साल पहले की तुलना में 16 प्रतिशत और दूध और अंडे की कीमतें 8.8 प्रतिशत ऊंची थीं लेकिन सब्जियों का दाम सालाना आधार पर 11.7 प्रतिशत घटा।
रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति की दर दो प्रतिशत घटबढ़ के साथ चार प्रतिशत के स्तर पर रखने की जिम्मेदारी है और वह कीमतों में वृद्धि की प्रत्याशा पर अंकुश लगाने के लिए लगातार ब्याज दर बढ़ा रहा है।
एमके ग्लोबल फाइनेंसियल सर्विसेज की प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा कि मुद्रास्फीति में यह उछाल अप्रत्याशित है जबकि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति पिछली बैठक में चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2023) के दौरान खुदा मुद्रास्फीति के अनुमान को पिछले अनुमान की तुलना में 0.20 प्रतिशत कम कर दिया गया था।
उन्होंने कहा कि इससे रिजर्व बैंक की इस धारणा की और पुष्टि हुई है कि मुख्य मुद्रास्फीति अब भी दृढ़ बनी हुई है और ढिलाई देने पर कीमत बढऩे की प्रत्याशा पर अंकुश ढीला होगा और इससे मध्य काल में मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ेगा।
मिलवुड केन इंटरनेशनल के सीईओ निखिल गुप्ता ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति में आया यह उछाल चिंता का विषय है। मुद्रास्फीति दो महीने नरम पडऩे के बाद बढ़ी है और यदि आगे दो महीने और ऊंचे स्तर पर रही तो रिजर्व बैंक को अप्रैल में नीतिगत ब्याज दर फिर बढ़ाना पड़ सकता है।
नाइट फ्रैंक इंडिया के निदेशक अनुसंधान विवेक राठी ने कहा कि मुद्रास्फीति का बढऩा रिजर्व बैंक की चिंता बढ़ा सकता
है। उन्होंने कहा कि चूंकि मुद्रास्फीति का दबाव लगातार बना हुआ है, इसलिए हमारी राय में अभी निकट भविष्य में रिजर्व बैंक ब्याज दर बढ़ाने का सिलसिला कम करने वाला नहीं है लेकिन एपीसी की एक-दो और बैठकों तक वृद्धि कम रखने का रुख बरकरार रह सकता है।

 

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