नई दिल्ली ,13 जनवारी । अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए मशहूर लद्दाख अब जल्द ही एक नई वजह से जाना जाएगा। यहां पर दुनिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट लगाए जाने की तैयारी है। जानकारी के अनुसार, दक्षिणी करगिल से करीब 200 किलोमीटर दूर बनाए जाने वाले इस प्लांट से बिजली उत्पादन के साथ ही एक साल में करीब 12,750 टन कार्बन उत्सर्जन को रोकने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही आसपास के इलाकों को रोजगार भी मिलेगा।
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अधीन संस्था सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया इससे जुड़े प्रॉजेक्ट्स को प्रमोट कर रही है। माना जा रहा है कि लद्दाख में 5,000 मेगावॉट की यूनिट और करगिल के लिए 2,500 मेगावॉट की यूनिट साल 2023 तक तैयार हो जाएगी। इस पर करीब 45,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
लद्दाख की प्रॉजेक्ट यूनिट रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र लेह के न्योमा में हनले-खलदो में बनाई जाएगी। वहीं करगिल सोलर प्लांट यूनिट को जान्स्कार के सुरु में बनाया जाएगा जो डिस्ट्रिक्ट हेडचर्टर से 254 किलोमीटर की दूरी पर है।
लद्दाख यूनिट से जनरेट होने वाली बिजली को कैथल तक सप्लाई किया जाएगा, जिसके लिए 900 किलोमीटर लंबी लाइन लेह-मनाली सडक़ पर बिछाई जाएगी। करगिल परियोजना श्रीनगर के पास न्यू वानपोह में ग्रिड के साथ शुरू होगी। करगिल परियोजना श्रीनगर के पास न्यू वान्पोह में ग्रिड के साथ जुड़ेगी।
एसईसीआई के डायरेक्टर एसके मिश्रा ने बताया कि टेंडर्स से जुड़ी समस्याओं पर गौर करने के साथ ही प्रॉजेक्ट के स्थान से जुड़ी समस्याओं पर भी गौर कर उन्हें दूर करने की कोशिश की गई है।
प्रॉजेक्ट से जुड़ी एक और सकारात्मक बात यह है कि लेह और करगिल प्रशासन ने पहाड़ी परिषदों के लिए पारिश्रमिक कीमतों पर क्रमश: 25,000 और 12,500 एकड़ गैर-चरने वाली भूमि को नामित किया है, जो 3त्न वार्षिक वृद्धि के साथ प्रति वर्ष लगभग 1,200 रुपये प्रति हेक्टेयर का किराया भी कमाएगा।
मिश्रा ने कहा, प्रॉजेक्ट के लिए जमीन का चुनाव हो जाना संभावित प्रमोटरों के लिए एक बड़ी राहत है, जो अलग-अलग स्थानों से साइट विजिट के लिए आ रहे हैं और प्रॉजेक्ट में काफी रुचि दिखा रहे हैं।
उम्मीद की जा रही है कि सोलर पैनल परियोजनाएं सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देंगी और स्थानीय लोगों को सोलर पैनलों की सफाई और ट्रांसफार्मर का रखरखाव आदि जैसे कौशल सिखा कर उन्हें रोजगार उपलब्ध करवाएंगी।