छत्तीसगढ़

12-Jan-2019 11:25:26 am
Posted Date

गोपनीय सैनिक बने समर्पित नक्सली फिर हो गए बेरोजगार

जगदलपुर, 12 जनवरी । आत्मसमर्पित नक्सलियों को अपनी सहायता हेतु गोपनीय सैनिक बनाकर रोजगार प्रदान किया गया और अब उन्हें कार्य से निकाल कर बेरोजगार किया जा रहा है। सुरक्षा तंत्र द्वारा यह कार्य जोखिम भरा सिद्ध हो सकता है और समर्पित नक्सली कभी भी सिर दर्द बन सकते हैं। जानकारी के अनुसार इस प्रकार की घटनायें प्रकाश में आई है जिसमें कई गोपनीय सैनिकों को काम से निकाल गया है। अब ऐसे लोग दैनिक मजदूरी कर अपना भरण-पोषण कर रहे हैं। ऐसी घटनायें सुकमा व बस्तर जिले के दरभा क्षेत्र में अधिक घट रही है। 
पांच वर्ष पूर्व इन आत्मसमर्पित नक्सलियों में से कुछ को शासन की पुनर्वास नीति के तहत आवस व रोजगार सहित सुरक्षा भी प्रदान कराई गई और इनमें से कुछ को गोपनीय सैनिक व सहायक आरक्षक बनाने के साथ नगर सेना में भी भर्ती किया गया। इनमें से कई गोपनीय सैनिक ऐसे भी है। जिन्हें कुछ राशि समर्पण के बाद दी गई। उसके बाद उनकी ओर किसी प्रकार की सुध नहीं ली गई। ऐसा ही एक उदाहरण दंतेवाड़ा के कटेकल्याण के गांव मथाड़ी की निवासी 25 वर्षिय कुमारी फगनी उर्फ शबना पिता सुकड़ा का है। जो नक्सलियों के एरिया कमेटी की सदस्या भी रही। इसके ऊपर पांच लाख रूपए का ईनाम भी घोषित था। वर्ष 2016 में इसने समर्पण किया था और उसे ईनाम की राशि तो दूर समपर्ण हेतु निर्धारित की गई राशि भी नहीं मिली। उसके बाद उसे गोपनीय सैनिक के रूप में रखकर बिना कारण बताये उसे हटा दिया गया। अब यह नक्सली सदस्या  अपना भरण-पोषण किसी अन्य स्थान पर मजदूरी कर काट रही है। 
इस संबंध में सुकमा जिले के पुलिस अधिक्षक का कहना है कि किसे कब रखा व निकाला गया इसकी जानकारी उनके पास नहीं है। प्रभावित लोग यदि उनके पास पहुंचकर मामला बतायेंगे तभी वे कुछ कर पाने की स्थिति में रहेंगे।

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