छत्तीसगढ़

11-Jan-2019 11:23:04 am
Posted Date

रबी फसल लेने के लिए धान के अवशेष जला रहे किसान

महासमुंद, 11 जनवरी ।  शहर के आस-पास के गांवों में किसान धान का नरई जला रहे हैं। कृषि विभाग द्वारा किसानों को जागरूक करने के बाद भी किसानों ने कई एकड़ में अवशेष जला चुके हैं और रबी फसल के लिए खेत तैयार कर रहे हैं। वहीं किसान खेतों के मेड़ में लगे पेड़ और पौधों व झुरमुट को काटने में जुटे हुए हैँ। शासन स्तर पर प्रतिबंध के बाद भी किसान नरई जला रहे हैं। गौरतलब है कि इससे खेतों को ही नहीं पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है। खेतों में नरई जलाने से खेतों के पोषक तत्व का भी नष्ट हो जाता है। नरई जलाने पर सजा का भी प्रावधान है। कृषि विशेषज्ञों ने भी नरई नहीं जलाने की सलाह देते हैं। किसान नरई जला देते हैं, तो पुशओं को चारा भी नहीं मिल पाता है। खेतों में धान के अवशेष जल जाने के बाद मवेशियों को भटकना पड़ता है, वहीं प्लास्टिक भी खा जाते हैं। पशुओं को चारा मिले इसी को देखते हुए शासन ने  धान के अवशेष जलाने पर प्रतिबंध लगाया है।
मृदा का होता है नुकसान
कृषि वैज्ञानिक अरविंद कुमार नंदनवार ने बताया कि धान के अवशेष जलाने से मृदा को नुकसान पहुंचता है और इसके अलावा छोटे-छोटे कीट मर जाते हैं, जिसकी वजह से मृदा से पोषक तत्व भी खत्म हो जाता है।
वर्सन
किसानों को नरई नहीं जलाने के निर्देश दिए गए हैं। जागरूक भी किया गया है। जल्दबाजी में किसान काटे रहे हैं।  - वीपी चौबे,  उपसंचालक, कृषि

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