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10-Jan-2019 11:43:12 am
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ई-कॉमर्स डील्स, कैशबैक पर रोक नहीं चाहते कंज्यूमर्स

बेंगलुरु,10 जनवारी । भारतीय कंज्यूमर्स, ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर डिस्काउंट और कैशबैक की मॉनिटरिंग के लिए नियम बनाने के पक्ष में नहीं हैं। हालांकि वे यह जरूर चाहते हैं कि नई ई-कॉमर्स पॉलिसी में सरकार फेसबुक और वॉट्सऐप जैसी सोशल नेटवर्क कंपनियों को शामिल करे। लोकलसर्किल्स के एक सर्वे से यह बात सामने आई है। इसमें शामिल 60 पर्सेंट लोगों ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा ऑफर किए जाने वाले कैशबैक को कानूनी दायरे में नहीं लाना चाहिए। 72 पर्सेंट ने डिस्काउंट पर नियमों का विरोध किया। हालांकि 88 पर्सेंट ने कहा कि सोशल नेटवर्क प्लेटफॉर्म्स को ई-कॉमर्स रेगुलेशन के तहत लाया जाना चाहिए। हाल के दिनों में इंडिविजुअल द्वारा प्रॉडक्ट की बिक्री के लिए सोशल नेटवर्क कंपनियों का इस्तेमाल बढ़ा है।
यह सर्वे ऐसे समय में आया है, जब सरकार नई ई-कॉमर्स पॉलिसी को लागू करने की तैयारी में जुटी है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक नई पॉलिसी में ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर डीप डिस्काउंटिंग और प्रीडेटरी प्राइसिंग (लागत से कम दाम पर सामान बेचना) को लगाम लगाने की कोशिश की गई है। हालांकि दूसरी तरफ कंज्यूमर्स चाहते हैं कि पॉलिसी बनाते वक्त उनको मिलने वाले फायदों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। 
सर्वे में कहा गया, कंज्यूमर्स चाहते हैं कि ई-कॉमर्स सेक्टर को कानूनी दायरे में लाना चाहिए। ई-कॉमर्स इंडस्ट्री के प्रॉडक्ट और सर्विसेज दोनों पहलुओं को पॉलिसी के अंदर लाया जाना चाहिए। हालांकि कैशबैक और डिस्काउंटिंग जैसे मामलों को बाजार के हाथ में छोड़ देना चाहिए। 
डिस्काउंट और कैशबैक पर कम निगरानी की मांग के साथ सर्वे में ज्यादातर लोगों ने कहा कि नई पॉलिसी में इस बारे में कड़े प्रावधान लाए जाने चाहिए कि ई-कॉमर्स कंपनियां शिकायतों को किस तरीके से लेती हैं। उन्होंने कहा कि पॉलिसी में जाली प्रॉडक्ट की बिक्री को रोके जाने के प्रावधान भी होने चाहिए। सर्वे में शामिल 78 पर्सेंट लोगों ने कहा कि अगर ई-कॉमर्स साइट्स पर सेलर्स की जानकारी दी जाए तो जाली प्रॉडक्ट की गतिविधियों में काफी कमी आएगी। 93 पर्सेंट ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों को कंज्यूमर्स की शिकायतें 72 घंटे में दूर करनी चाहिए। 
ई-कॉमर्स पॉलिसी के अंदर सोशल नेटवर्क कंपनियों को लाए जाने की मांग करते हुए कंज्यूमर्स ने पीयर-टु-पीयर सेलिंग की भी प्रभावी निगरानी की बात कही। फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप जहां इंडिविजुअल के लिए प्रॉडक्ट बिक्री के लोकप्रिय प्लेटफॉर्म बनकर उभरे हैं, वहीं मीशो, ग्लोरोड, बूप्लर और शॉप101 जैसे कुछ नए प्लेटफॉर्म भी सामने आए हैं। 
थर्डआईसाइट के सीईओ देवांग्शु दत्ता ने बताया कि कंज्यूमर्स की यह मांग देश में कंज्यूमर्स प्रॉटेक्शन की कमी का संकेत है। उन्होंने कहा, भारत में कंज्यूमर्स के हितों की रक्षा के लिए मजबूत ढांचा नहीं है। कुछ पॉलिसी और नियम जरूर बनाए गए हैं, लेकिन बुनियादी ढांचा काफी कमजोर हैं। अगर आपको बतौर कस्टमर ठगा गया है और आप कंपनी को इसके लिए कटघरे में खड़ा करना चाहते हैं, तो यह काफी मंहगा है। 
एक ऑनलाइन सेलर ग्रुप के प्रतिनिधि ने बताया कि सेलर्स की भी यही राय है। सेलर्स भी कैशबैक और डिस्काउंट के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि वे डीप डिस्काउंटिंग की निगरानी चाहते हैं। जाली प्रॉडक्ट के सेलर्स के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इन्हें सिस्टम से हटाना सबके लिए फायदेमंद होगा।

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