जगदलपुर, 10 जनवरी । जिला मुख्यालय के लोहंडीगुड़ा विखं के मिचनार क्षेत्र में मौजूद एक प्राकृतिक गुफा घने जंगलों और हिंसक जानवरों के चलते सैलानियों से दूर है तथा इस गुफा के बारे में लोग बहुत कम जानते हैं। इस गुफा के पास प्रतिवर्ष शिवरात्रि का मेला लगता है जिससे यहां के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी प्राप्त होती है और इस मेले में ग्रामीणों की उपस्थिति ही अधिक होती है।
जानकारी के अनुसार इस मेले के बाद ग्रामीण स्वयं ही इस गुफा की ओर जाना नहीं चाहते। इसका कारण स्पष्ट करते हुए ग्रामीणों ने बताया कि गुफा के आसपास मरे हुए जानवरों की हड्डियां आदि प्राप्त होती है और अकेले में दिन के समय भी इस ओर आना भय का कारण रहता है। अभी हाल ही में दंडक दल के कुछ युवकों ने इस गुफा का अवलोकन कर बताया कि इस गुफा में जिस पहाड़ी पर यह स्थित है, उस पहाड़ी में लगभग पांच मार्गों से प्रवेश किया जा सकता है। ग्रामीणों को इस गुफा के बारे में पहले उतनी जानकारी नहीं थी लेकिन धीरे धीरे उन्हें यहां गुफा होने का आभास हुआ। उसके बाद भी यहां डर के कारण वे आने में हिचकते हैं।
इस गुफा को पास से देखने पर युवकों ने बताया कि इस गुफा में स्टेग्लोटाईट और स्टेग्लोमाईट से बनी कई कलाकृतियां हैं और इसकी गहराई में काफी अधिक है। इस गुफा में जाने के लिए सैलानियों को रस्सी अथवा अन्य साधनों का सहारा लेकर ही जाना होगा। इस पहाड़ी पर बने गुफा की यह विशेषता है कि यह पहाड़ी पर ही मौजूद है। जबकि बस्तर के अन्य गुफाओं में नीचे उतरकर जाना पड़ता है।