व्यापार

09-Jan-2019 11:45:05 am
Posted Date

पैसे की किल्लत बनी ऑटो इंडस्ट्री के गले की फांस

मुंबई ,09 जनवारी । ऑटो इंडस्ट्री पिछले कुछ महीनों से बिक्री में गिरावट देख रही है। उद्योग के लिए फेस्टिव सीजन उतना अच्छा नहीं रहा, जितना इंडस्ट्री उम्मीद कर रही थी। कार डीलर्स का कहना है कि नंवबर और दिसंबर में ग्राहकों ने अपनी खरीदारी को पहले टाला या फिर स्थगित कर दिया। पैसेंजर वीइकल्स में मांग अभी धीमी चल रही है, लेकिन टू-व्हीलर्स की बिक्री में ग्रोथ बनी हुई है। फेडरेशन ऑफ ऑटो मोबाईल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) द्वारा 18 महीने के ऑटो रजिस्ट्रेंशन का डेटा जारी किया गया है। जिसके अनुसार वाहनों की रिटेल बिक्री में अक्टूबर से नवंबर तक गिरावट देखी गई और नवंबर से दिसंबर तक बिक्री तक उसी स्तर पर बनी हुई है।
क्या कहते हैं डीलर्स 
डीलर्स असोसिएशन प्रेसिडेंट आशीष हर्षराज काले का कहना है कि दिसंबर में लिच्डििटी सबसे बड़ी समस्या रही, लेकिन स्थिती सुधारने के नीति निर्माताओं ने कई सुधार किए, जिसका परिणाम इस तिमाही में देखने को मिल सकता है। अनुसार एनबीएफसी में लिच्डििटी की कमी जिसका असर सीधे ऑटो सेक्टर पर पड़ा है। हमें उम्मीद है कि एनबीएफसी कंपनियों और आरबीआई गवर्नर की मीटिंग में सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे। 
कार डीलर मानस दलवी का कहना है कि फेस्टिव सीजन सुस्त रहा, इसकी मुख्य वजह बढ़ी हुई फ्यूल कीमतें और मार्केट सेंटीमेंट रहा। ग्राहक बड़ी खरीदारी करने से बचे। कई जगहों पर तो लोगों ने अपनी बुकिंग को कैंसल भी की, क्योंकि पैसों की किल्लत भी उनके आगे आई। वे बताते हैं कि इससे पहले फेस्टिव सीजन में यह ट्रेंड देखने को नहीं मिला। देखा जाए तो पैसेंजर वीइकल में बिक्री नहीं बढ़ी है। पुरानी इन्वेंटरी अभी पड़ी हुई हैं। इनको निकालने के लिए कंपनियां डिस्काउंट और ऑफर दे रही हैं। 
बॉक्स- एक कार डीलर ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि पुराने स्टॉक को निकालना भारी पड़ रहा है, ऑफर और डिस्काउंट के बाद भी बिक्री में अधिक सुधार नहीं है। ऐसा नहीं है कि मार्केट में लोन देने के लिए कंपनियां नहीं है, बावजूद इसके ग्राहक ही लोन लेना पंसद नहीं कर रहे हैं।

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