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20-Jun-2018 6:40:40 am
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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से बाहर हुआ अमरीका !

अमरीका ने कहा है कि वो संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार काउंसिल से बाहर हो रहा है.अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और संयुक्त राष्ट्र के लिए अमरीका की दूत निकी हेली ने एक साझा प्रेस वार्ता में इस बात की घोषणा की है.वहीं, काउंसिल के प्रमुख ज़ेद बिन राद अल हुसैन ने कहा है कि अमरीका को मानवाधिकारों की रक्षा से पीछे नहीं हटना चाहिए.निकी हेली ने कहा, ”जब एक तथाकथित मानवाधिकार काउंसिल वेनेज़ुएला और ईरान में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में कुछ नहीं बोल पाती और कॉन्गो जैसे देश का अपने नए सदस्य के तौर पर स्वागत करती है तो फिर यह मानवाधिकार काउंसिल कहलाने का अधिकार खो देती है.”उन्होंने कहा कि असल में ऐसी संस्था मानवाधिकारों को नुक़सान पहुंचाती है.हेली ने कहा कि काउंसिल ‘राजनीतिक पक्षपात’ से प्रेरित है. उन्होंने कहा, ”हालांकि मैं ये साफ करना चाहती हूं कि काउंसिल से बाहर होने का मतलब ये नहीं है कि हम मानवाधिकारों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से मुकर रहे हैं.”

निकी हेली और माइक पोम्पियो साझा प्रेस कॉन्फ़्रेंस में

हेली ने पिछले साल भी यूएनएचआरसी पर ‘इसराइल के ख़िलाफ़ दुर्भावना और भेदभाव से ग्रस्त’ होने का आरोप लगाया था और कहा था कि अमरीका परिषद् में अपनी सदस्यता की समीक्षा करेगा.अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भी यूएनएचआरसी के इरादों पर सवाल उठाए और कहा कि ये अपने ही विचारों को बनाए रखने में नाकाम रहा है.उन्होंने कहा, ”हमें इस बारे में कोई संदेह नहीं है कि एक वक़्त में यूएनएचआरसी का मक़सद नेक था. लेकिन आज हमें ईमानदारी बरतने की ज़रूरत है. ये आज मानवाधिकारों की मजबूती से रक्षा नहीं कर पा रहा है. इससे भी बुरा ये है कि काउंसिल आज बड़ी ही बेशर्मी और पाखंड के साथ दुनिया के तमाम हिस्सों में रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन को अनदेखा कर रहा है.”पोम्पियो ने कहा कि दुनिया के कुछ ऐसे देश इसके सदस्य हैं जिन पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के सबसे गंभीर आरोप हैं.यूएनएचआरसी की स्थापना 2006 में हुई थी. मानवाधिकारों के उल्लंघन वाले आरोपों से घिरे देशों को सदस्यता देने की वजह से यह आलोचना का केंद्र बना रहा है.

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इससे अलग होने का अमरीका का फ़ैसला ऐसे वक़्त में आया है जब प्रवासी बच्चों को उनके माता-पिता से अलग किए जाने की वजह से ट्रंप प्रशासन को जबरदस्त आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.इससे पहले ह्यूमन राइट्स वॉच नाम के मानवाधिकार समूह ने डोनल्ड ट्रंप की नीति को ‘एकतरफ़ा’ बताते हुए इसकी आलोचना की थी. ह्यूमन राइट्स वॉच के डायरेक्टर केनेथ रोथ ने कहा था, “यूएनएचसी ने उत्तर कोरिया, सीरिया, म्यांमारा और दक्षिणी सूडान जैसे देशों में एक अहम भूमिका निभाई है लेकिन डोनल्ड ट्रंप को सिर्फ इसराइल की फ़िक्र है.”

यूएनएचसी से जुड़ी कुछ अहम बातें

  • इसे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के विकल्प के तौर पर बनाया गया था.
  • कुल 47 देश इसके सदस्य हैं जो तीन साल के लिए चुने जाते हैं.
  • इसका मक़सद दुनिया भर में मानवाधिकार के मुद्दों पर नज़र रखना है.
  • साल 2013 में चीन, रूस, सऊदी अरब, अल्जीरिया और वियतनाम को यूएनएचसी सदस्य चुने जाने पर मानवाधिकार समूहों ने इसकी आलोचना की थी.
  • अमरीका साल 2009 में ओबामा प्रशासन के दौरान पहली बार इसका सदस्य बना था.

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