राज्य

07-Jan-2019 10:22:51 am
Posted Date

विपक्ष के हंगामे और सहयोगियों की ना-नुकुर के चलते फिर लटक सकता है तीन तलाक बिल

नईदिल्ली ,07 जनवारी । संसद का एक और सत्र बीतने वाला है और तीन तलाक बिल का पास हो पाना मुश्किल लग रहा है. विपक्ष लगातार मांग कर रहा है कि बिल सेलेक्ट कमिटी को भेजा जाए. वहीं केंद्र और बिहार दोनों जगह बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू के तीन तलाक बिल के पक्ष में वोट नहीं करने के फैसले से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है.
जेडीयू के राज्यसभा सांसद और पार्टी के बिहार प्रमुख वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा, यह मामला एक बड़े समुदाय से जुड़ा है ऐसे में तीन तलाक बिल को राज्यसभा में पास करने की हड़बड़ी दिखाना उचित नहीं होगा. उन्होंने कहा कि बिल पेश करने से पहले सरकार को सभी सहयोगियों से चर्चा करनी थी. उन्होंने कहा कि राज्यसभा में वोटिंग हुई तो जेडीयू सरकार के खिलाफ वोट करेगी.
विपक्ष की मांग है कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2018 को सेलेक्ट कमिटी को भेजा जाए. संसद का शीतकालीन सत्र मंगलवार को खत्म हो रहा है और विपक्ष राज्यसभा में इस बिल को पास होने देने के मूड में नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त, 2017 को एक बार में तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित किया था. कोर्ट ने कहा था कि इस तरीके से दिए गए तलाक को कानूनी रूप से तलाक नहीं माना जाएगा. हालांकि इस फैसले में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के संबंध में कोई गाइडलाइन तय नहीं किये गए थे.
कोर्ट ने निर्देश दिया था कि केंद्र सरकार इस संबंध में बिल तैयार करे और संसद में उसे पास करवाकर कानून बनाए.
पिछले साल मानसून सत्र में राज्यसभा में बिल पास करवाने में असफलता के बाद केंद्र सरकार इस मुद्दे पर अध्यादेश लेकर आई. हालांकि अध्यादेश के जरिए बनाया गया कानून छह महीने के अंदर अवैध हो जाता है, ऐसे में सरकार के लिए इस बिल को संसद में पास कराना अनिवार्य है. चूंकि शीतकालीन सत्र मंगलवार को खत्म हो रहा है. सरकार इस बिल को सलेक्ट कमिटी को भेजने के पक्ष में नहीं दिख रही है.
ऐसे में सरकार ऑर्डिनेंस को चुनाव तक दोबारा लागू कराने की दिशा में विचार कर सकती है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक पुराने फैसले में इसे लोकतंत्र के साथ धोखा करार दिया था.
विपक्ष का मानना है कि शादी दो वयस्कों के बीच एक सामाजिक कॉन्ट्रैक्ट है, इसलिए तलाक से जुड़े मसलों का समाधान भी सामाजिक ही होना चाहिए. विपक्ष का कहना है कि इस मुद्दे का अपराधिकरण नहीं किया जाना चाहिए.
एक और चिंता यह है कि यदि कानून पास होता हो तो पति आरोपी होगा और उसे जेल भेज दिया जाएगा. वह जेल जाता है तो भी पत्नी की मर्जी के खिलाफ दोनों का सेपरेशन हो जाएगा. जबकि हो सकता है कि पत्नी तलाक नहीं चाहती हो.

 

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