नई दिल्ली, 02 जनवरी । रिजर्व बैंक ने बैंकों को सूक्ष्म, लघु एवं मझोले (एमएसएमई) उद्यमों के फंसे कर्ज के एकबारगी पुनर्गठन (वन टाइम रीस्ट्रक्चरिंग) की छूट देते हुए नियम जारी किए। केन्द्रीय बैंक के एक वक्तव्य में कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने एमएसएमई के फंसे कर्ज की एकबारगी पुनर्गठन किए जाने की अनुमति दे दी है। वक्तव्य के अनुसार, एमएसएमई के ऐसे कर्ज जिनकी किस्तों की अदायगी रुक गई है, लेकिन वे एक जनवरी 2019 को स्टैंडर्ड लोन कैटिगरी में हैं, उनकी एकबारगी रीस्ट्रक्चरिंग की जाएगी।
ध्यान रहे कि जिन मुद्दों पर सरकार और आरबीआई के बीच खींचतान चली है, उनमें एमएसएमई के लिए रीस्ट्रक्चरिंग पैकेज भी एक है। नोटबंदी और जीएसटी लागू होने से नकदी संकट का सामना कर रहे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को आरबीआई का ताजा फैसला बहुत मददगार साबित होगा। चूंकि एमएसएमई सेक्टर देश की कुल मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में अपनी 50 प्रतिशत भागीदारी निभाती है। ऐसे में सरकार ने इस सेक्टर की मदद के लिए कई कदम उठाने का सुझाव दिया।
बहरहाल, वक्तव्य में कहा गया है कि किसी कर्जदार इकाई के लिए इस छूट का पात्र होने के लिए जरूरी है कि उस पर 1 जनवरी 2019 को बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की गैर-कोष आधारित सुविधा (नॉन-फंड बेस्ट फसिलिटीज) सहित कुल उधार 25 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हो। इस योजना के तहत लोन की रीस्ट्रक्चरिंग 31 मार्च 2020 तक लागू किया जा सकता है।