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31-Dec-2018 12:23:45 pm
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सरकारी बैंकों के बैड लोन में आई कमी, पहली छमाही में 23,860 करोड़ रुपये की कमी

दिल्ली ,31 दिसंबर । सरकारी बैंकों के बैड लोन में कमी आई है और बैंक ज्यादातर स्ट्रेस्ड असेट्स की पहचान कर चुके हैं। यह जानकारी एक सरकारी अधिकारी ने दी है। सरकारी बैंकों के ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) मार्च में पीक पर पहुंचने के बाद कम हो रहे हैं। वित्त वर्ष 2019 की पहली छमाही में इसमें 23,860 करोड़ रुपये की कमी आई है।
फाइनैंशल सर्विसेज सेक्रेटरी राजीव कुमार ने बताया, ‘बैड लोन की पहचान और उन्हें बैलेंस शीट में दिखाने का काम करीब-करीब पूरा हो गया है। रिस्ट्रक्चर्ड स्टैंडर्ड असेट्स मार्च 2017 के 7 पर्सेंट के पीक लेवल से सितंबर 2018 तक गिरकर 0.59 पर्सेंट तक आ गए थे।’ 
वित्त मंत्रालय के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, जिन लोन अकाउंट्स की किस्त में 31 से 90 दिनों की देरी हुई है और जो अभी तक एनपीए नहीं बने हैं, वे लगातार पांच तिमाहियों में 61 पर्सेंट की गिरावट के साथ सितंबर 2018 में 0.87 लाख करोड़ के रह गए थे, जबकि जून 2017 में ऐसा एनपीए 2.25 लाख करोड़ रुपये का था। इससे पता चलता है कि अब नए बैड लोन बहुत कम बन रहे हैं। 
इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में सरकारी बैंकों ने रिकॉर्ड 60,726 करोड़ की रिकवरी की है, जो साल भर पहले की इसी तिमाही का दोगुना है। कुमार ने बताया, ‘सरकारी बैंकों का प्रोविजन कवरेज रेशियो (पीसीआर) मार्च 2015 में 46.04 पर्सेंट था, जो सितंबर 2018 तक बढक़र 66.85 पर्सेंट हो गया था। इससे बैंकों की नुकसान बर्दाश्त करने की क्षमता बढ़ी है।’ 
पब्लिक सेक्टर बैंकों में सरकार और पैसे लगा रही है। केंद्र का मानना है कि इससे कम से कम दो या तीन बैंक रिजर्व बैंक के प्रॉम्प्ट करेक्टिव ऐक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क से इस वित्त वर्ष के खत्म होने से पहले बाहर आ जाएंगे। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसी महीने कहा था कि सरकार पहले पब्लिक सेक्टर बैंकों में जितने निवेश की बात कह चुकी है, उसके अलावा उन्हें 41 हजार करोड़ रुपये देगी। इससे सरकारी बैंकों में केंद्र की तरफ से लगाई जाने वाली रकम 65 हजार करोड़ से बढक़र 1.06 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी। जेटली ने कहा था कि इससे सरकारी बैंकों की लोन देने की क्षमता बढ़ेगी और वे रिजर्व बैंक के पीसीए फ्रेमवर्क से भी बाहर आ पाएंगे। पीसीए में उन बैंकों को डाला जाता है, जो कुछ मानकों का पालन नहीं कर पाते। प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन फ्रेमवर्क में डाले जाने के बाद बैंकों के लोन देने और नई शाखाएं खोलने पर रोक लग जाती है।

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