व्यापार

29-Dec-2018 11:54:42 am
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वित्त वर्ष 2017-18 में बैंकों का ग्रॉस एनपीए बढ़ कर 11.2 प्रतिशत या 10,390 अरब रुपये पर

मुंबई ,29 दिसंबर । बैंकों की सकल गैर निष्पादित आस्तियां (ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट्स यानी जीएनपीए) वित्त वर्ष 2017-18 में बढक़र 11.2 प्रतिशत या 10,390 अरब रुपये पर पहुंच गईं। एक साल पहले बैंकिंग प्रणाली की ग्रॉस एनपीए 9.3 प्रतिशत पर था। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान कुल जीएनपीए में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की जीएनपीए 8,950 करोड़ रुपए था। इस तरह सरकारी बैंकों में की जीएनपीए उनके सकल ऋण के 14.6 प्रतिशत के बराबर था। वित्त वर्ष 2016-17 में बैंकिंग प्रणाली का सकल एनपीए 9.3 प्रतिशत पर था। वहीं, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए 11.7 प्रतिशत था।
रिजर्व बैंक की बैंकिंग का रुख और प्रगति 2017-18 रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2017-18 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए पुनर्गठित ऋण के एनपीए बनने और एनपीए की बेहतर तरीके से पहचान की वजह से बढ़ा। जहां तक शुद्ध एनपीए अनुपात की बात है, पिछले वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की स्थिति में उल्लेखनीय रूप से बिगड़ी। इन बैंकों में शुद्ध एनपीए बढ़ कर 8 प्रतिशत पर पहुंच गया, जो उससे एक साल पहले 6.9 प्रतिशत था। 
निजी क्षेत्र के बैंकों का 2017-18 में सकल एनपीए 4.7 प्रतिशत पर है, जो उससे पिछले वित्त वर्ष में 4.1 प्रतिशत था। रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा अपने बही खाते को साफ सुथरा करने के गहन प्रयासों की वजह से उनका सकल एनपीए अनुपात घटा है। निजी बैंकों द्वारा एनपीए को बट्टे खाते में डालने के ऊंचे स्तर तथा बेहतर वसूली से उनका सकल एनपीए घटा है। 
विदेशी बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता बीते वित्त वर्ष में मामूली सुधरी। इन बैंकों का एनपीए 3.8 प्रतिशत था जो एक वर्ष पहले 4 प्रतिशत के स्तर पर था। वित्त वर्ष 2017-18 में कुल एनपीए में संदिग्ध किस्म के ऋणों की राशि 5,110 अरब रुपये तक पहुंच गई जो कुल कर्ज का 6.7 प्रतिशत है। इसका मुख्य हिस्सा सरकारी बैंकों के खातों में रहा। सरकारी बैंकों में ऐसे बैंकों का अनुपात 9 प्रतिशत था। 
वित्त वर्ष 2017-18 में फंसे कर्जों को तेजी से बट्टा खाते में डालने के निर्णयों से निजी बैंकों के डूबे और घाटे वाले ऋणों का हिस्सा घटकर क्रमश: 1.1 प्रतिशत और 0.2 प्रतिशत पर आ गया था। बीते वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बड़े खातों (पांच करोड़ रुपये या उससे अधिक कर्ज वाले) के सकल एनपीए का हिस्सा बढक़र 23.1 प्रतिशत हो गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 18.1 प्रतिशत पर था। 
रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते वित्त वर्ष में र प्रतिशत एवं आभूषण क्षेत्र का कुल एनपीए बढ़ा है। इसकी वजह पंजाब नैशनल बैंक का 14,000 करोड़ रुपये का घोटाला है। इस घोटाले के मुख्य आरोपी हीरा और जेवरात कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी हैं।

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