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28-Dec-2018 12:17:51 pm
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आगामी लोस चुनाव के पूर्व किसानों को मिलेगी बड़ी राहत

नई दिल्ली ,28 दिसंबर ।  हाल में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को तीन हिंदी भाषी राज्यों में मिली करारी हार के बाद आगामी लोकसभा चुनाव के पूर्व सरकार किसानों को उनकी समस्याओं के मद्देनजर बड़ी राहत देने के मूड में नजर आ रही है। इसके तहत तेलंगाना के केसीआर सरकार के मॉडल के मुताबिक केंद्र किसानों के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम के बारे में विचार कर रही है। इसे लेकर सरकार में कई दौर की वार्ता हो चुकी है। छोटे और सीमांत किसानों को बीज, खाद, कीटनाशक और मजदूरी जैसे खर्चों के लिए एक सीमित रकम सीधे उनके खाते में डालने पर विचार चल रहा है।
सूत्रों का कहना है कि इस तरह की स्कीम में करीब 1.3 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस खर्च को केंद्र और राज्य सरकारें साझे तौर पर उठा सकती हैं। इन वार्ताओं में शामिल रहे कुछ लोगों का मानना है कि 70:30 के रेशियो में केंद्र और राज्य इस खर्चे का बंटवारा कर सकते हैं। 
एक अधिकारी ने बताया कि यह एक राजनीतिक फैसला होगा। उनके मुताबिक इसके खर्च और तय समय में इसे लागू करना एक चुनौती हो सकती है लेकिन कई राज्यों में बीजेपी की सरकार होने से मोदी सरकार को मिल सकती है। उन्होंने बताया कि इस मोर्चे पर कांग्रेस की सरकारों का भी समर्थन मिलेगा क्योंकि आखिरकार ये किसान समस्या को कम करने में मदद मिलेगी।
हालांकि उन्होंने बताया कि अभी इस मामले में अंतिम फैसला लिया जाना बाकी है। सरकार दूसरे विकल्पों पर भी विचार कर रही है। इनमें से एक नीति आयोग की तरफ से सुझावा गया है। इस मीडियम टर्म स्ट्रैटिजी के मुताबिक अगर कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे गिरती हैं तो किसानों को सब्सिडी दी जा सकती है। 
नीति आयोग के इस प्रस्ताव के मुताबिक हर किसान को अपने निकटम एपीएमसी मंडी में बुआई और फसल के रकबे को रजिस्टर कराना होगा। अगर फसल का बाजार भाव गिरता है तो किसानों एमएसपी और बाजार भाव के बीच के अंतर का अधिकतम 10 फीसदी तक डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की मदद से अपने आधार लिंक बैंक अकाउंट में पाने का अधिकारी होगा। 
केसीआर की ऋतु बंधु योजना की तर्ज पर मिलेगी छूट? 
हिंदी पट्टी के तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मिली हार के बाद मोदी सरकार कृषि क्षेत्र को राहत देने की तैयारियों में जुटी है। इस सिलसिले में पीएम मोदी ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, वित्त मंत्री अरुण जेटली और कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह से मुलाकात की है। बता दें कि कृषि मंत्रालय ने सात राज्यों द्वारा की गयी कृषि ऋण माफी, ओडिशा जैसे राज्यों में लागत पर दी गयी छूट और तेलंगाना की ऋतु बंधु योजना समेत राज्यों के विभिन्न मॉडलों का अध्ययन किया है। 
ऐसा माना जा रहा है कि तेलंगाना की तर्ज पर मोदी सरकार भी फैसला ले सकती है। हालांकि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) जैसी स्कीम की राह में कई अड़चनें हैं। इसके लिए सरकार को लैंड रिकॉर्ड हासिल करने में बड़े प्रयास रने होंगे। ऐसा महसूस किया जा रहा है कि किसानों के लिए मौजूदा योजनाओं से समस्या में राहत नहीं मिल रही है। यही वजह है कि किसानों को इनकम सपॉर्ट देने की जरूरत समझी जा रही है। 
केंद्र सरकार मौजूदा विकल्पों में से सबसे ज्यादा तेलंगाना की ऋतु बंधु योजना पर ध्यान दे रही है। इसके तहत राज्य सरकार ने इस वित्तीय वर्ष के लिए 12000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। इस स्कीम में राज्य सरकार हर मौसम में किसानों को बीज, खाद, कीटनाशक और मजदूरी इत्यादि खर्चों के लिए प्रति एकड़ 4000 रुपये देती है। 
हालांकि किसानों की इस योजना को लागू करने से पहले टीआरएस सरकार ने काफी मेहनत की है। इसमें लैंड रिकार्ड को डिजिटल करने, स्कीम के तहत लाभार्थियों की पहचान करने जैसे प्रयास शामिल हैं। अगर मोदी सरकार को देशव्यापी स्तर पर ऐसी स्कीम को लागू करना है तो उसे भी इस तरह के प्रयास करने होंगे।

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