0-राष्ट्रपति के अंगरक्षक की भर्ती को चुनौती देने का मामला
नई दिल्ली ,26 दिसंबर ।दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रपति के अंगरक्षक की भर्ती में सिर्फ तीन जातियों पर ही विचार करने का आरोप लगाने वाली याचिका पर केंद्र सरकार और सेना प्रमुख से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति संजीव नरुला ने हरियाणा निवासी गौरव यादव की याचिका पर रक्षा मंत्रालय, सेना प्रमुख, राष्ट्रपति के अंगरक्षक कमांडेंट और सेना भर्ती के निदेशक को नोटिस जारी किये हैं। पीठ ने इन सभी को चार हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई आठ जनवरी 2019 को होगी। गौरव यादव ने चार सितंबर, 2017 को हुई राष्ट्रपति के अंगरक्षक की भर्ती रद्द करने का अनुरोध किया है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि राष्ट्रपति के अंगरक्षक की भर्ती के लिये सिर्फ जाट, राजपूत और जाट सिख जातियों को ही आमंत्रित किया गया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह अहीरध्यादव जाति से संबंध रखते हैं और जाति को छोडक़र राष्ट्रपति का अंगरक्षक की भर्ती के लिये सारी आहर्तायें पूरी करते हैं। याचिकाकर्ता ने खुद को इस पद पर नियुक्त करने का अनुरोध किया है। याचिका में कहा गया है कि तीन जातियों को प्राथमिकता देकर से दूसरे योग्य नागरिकों को भर्ती के अवसर से वंचित किया गया है। याचिका में कहा गया है कि इस तरह पक्षपात संविधान के अनुच्छेद 14 और 15(1) और 16 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है। इससे पहले, उच्चतम न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय इस मुद्दे पर दायर जनहित याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया था।