राज्य

22-Dec-2018 12:41:28 pm
Posted Date

अब अलका मामले का जिम्मा संजय पर

0-सीएम आवास पर कुछ विधायकों को बुलाया
नई दिल्ली,22 दिसंबर । दिल्ली विधानसभा के सत्र में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर हुए बवाल के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के अंदर भी बवाल मची हुई है। बवाल का विषय है कि विधायक अलका लांबा पर क्या कार्रवाई की जाए? अब इसका जिम्मा राज्यसभा सांसद संजय सिंह को सौंप दिया गया है। इस बीच सभी विधायकों को सीएम अरविंद केजरीवाल की तरफ से संदेश दिलवा दिया गया है कि मीडिया के समक्ष कोई किसी तरह की बयानबाजी न करे।
पार्टी सूत्रों के अनुसार असल में इस मामले को कहीं न कहीं मुख्यमंत्री की शान में गुस्ताखी से जोडक़र देखा जा रहा है। हालांकि सार्वजनिक तौर पर इसे डेकोरम का मसला ही बताया जा रहा है। अलका के इस्तीफे की बात उस समय उड़ी थी, जब वह सदन से उठकर बाहर चली गईं थीं और आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज के कहने पर भी अंदर नहीं लौटी थीं। फिर केजरीवाल और अलका के बीच फोन पर हुई गर्मागर्मी से इस्तीफे की खबर आ पहुंची।
सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार रात सत्र में जो हुआ, पार्टी के लिए दोनों तरफ से फंसने वाली बात हो गई। एक यह कि राजीव गांधी से भारत रत्न अवॉर्ड वापसी प्रस्ताव पास होने से कांग्रेस के साथ जो गठबंधन की कोशिश चल रही थी, वह खटाई में चली गई। दूसरी यह कि अलका लांबा के सदन से वॉकआउट करने पर सीएम अरविंद केजरीवाल के मान-सम्मान को ठेस पहुंचने के साथ साथ पार्टी लाइन से अलग जाने की बात भी सामने आ गई। 
पूरी रात इस बात को लेकर पार्टी की टॉप लीडरशिप में गहमागहमी चलती रही। विधायकों से भी रात भर किसी न किसी तरह से चर्चा चलती रही। 
आप के एक विधायक ने बताया कि शनिवार सुबह कुछ विधायकों को मुख्यमंत्री आवास पर बुलाया गया था। सीएम के पीएस बिभव ने सबको अरविंद केजरीवाल का संदेश दिया कि कोई इस मसले पर मीडिया से किसी तरह की बात न करें। न सोशल मीडिया पर अनावश्यक टिप्पणी करें और न ही राजीव गांधी और अलका लांबा के विषय में किसी तरह की राय व्यक्त करें।
सूत्रों ने बताया कि राज्यसभा सांसद संजय सिंह को अलका लांबा से बातचीत के लिए बुलाया गया है। संजय को अरविंद केजरीवाल ने पूरे मामले को हैंडल करने के लिए कहा है। इसकी वजह यह भी है कि अलका लांबा जब आप से जुड़ी थीं तो उन्होंने संजय सिंह के साथ मिलकर काफी काम किया। दूसरी ओर महागठबंधन की बात करें तो संजय सिंह ही हैं, जो कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के नेताओं से संपर्क बनाते रहे हैं। 
वॉकआउट से ज्यादा अलका के ट्वीट ने बिगाड़ी बात 
दूसरी तरफ, आप सूत्रों की मानें तो विवाद अलका के वॉकआउट करने से इतना नहीं भडक़ा, जितना अलका के ट्वीट से। असल में जब सदन में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने का प्रस्ताव पेश किया गया और सभी ने खड़े होकर उसे स्वीकार किया तो अलका लांबा इसके विरोध में उठ कर बाहर चली गईं। इसके बाद आप के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने दावा किया कि प्रस्ताव पास नहीं हुआ। 
अलका ने पोस्ट कर दी प्रस्ताव की कॉपी 
एक विधायक ने प्रस्ताव की कॉपी पर हाथ से यह बात लिख दी है, इसलिए यह प्रस्ताव पास नहीं हुआ। पार्टी की कोशिश थी कि इस बयान से डैमेज कंट्रोल हो जाएगा, लेकिन पार्टी की सोच के उलट अलका लांबा ने अपने ट्विटर हैंडल पर प्रस्ताव की कॉपी पोस्ट कर दी। यह प्रस्ताव तिलक नगर से विधायक जरनैल सिंह द्वारा रखा गया था, जिसमें राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने की मांग की गई थी और यह लाइन प्रिंटिड थी। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अलका के इस ट्वीट से ज्यादा आपत्ति हुई क्योंकि इस ट्वीट से पार्टी का डैमेज कंट्रोल का प्रयास खटाई में पड़ गया और पार्टी का दावा भी झूठा साबित हो गया। 
अलका को बली का बकरा क्यों बना रहे केजरीवाल: कपिल 
आप के बागी विधायक कपिल मिश्रा ने आप के राष्ट्रीय संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सवाल किया है कि राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने के मुद्दे में वह अलका लांबा को बली का बकरा बनाने पर क्यों तुले हैं। कपिल ने सुबह अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि विधानसभा के स्पीकर रामनिवास गोयल आये हैं गठबन्धन बचाने। जो सबने देखा, जो सबके सामने हुआ उसे झूठा बताया जाएगा। सवाल ये हैं सिखों के साथ इतना भद्दा मजाक क्यों? 17 दिसम्बर को मैंने यह मांग रखी थी कि सिखों के नरसंहार के मुद्दे पर राजीव गांधी का भारत रत्न वापस लिया जाए। मुझे खुशी है कि दिल्ली विधानसभा ने इस प्रस्ताव को एकमत से पारित किया।

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