नई दिल्ली,22 दिसंबर । दिल्ली विधानसभा में दिवंगत पूर्व पीएम राजीव गांधी को मिले भारत रत्न को वापस लिए जाने की मांग वाले प्रस्ताव पर शुक्रवार को विवाद खड़ा हो गया। जिससे कि आप नेता अलका लांबा को पार्टी से ही इस्तीफा देना पड़ा। जानकारी के अनुसार आप नेता सोमनाथ भारती पर भी अनुशासनात्मक कार्रवाई तय है। हालांकि आप ने बाद में कहा कि संशोधन पारित ही नहीं हुआ।
ज्ञात हो कि विधानसभा में 84 के सिख विरोधी दंगा पीडि़तों को न्याय दिलाने की मांग वाला एक प्रस्ताव आया। उसमें आप नेता सोमनाथ भारती ने अपनी तरफ से हाथ से लिख दिया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को दिया गया भारत रत्न वापस लिया जाए। इस प्रस्ताव को लेकिन आम आदमी पार्टी ने बाद में असेंबली के बाहर ऐलान किया कि प्रस्ताव में तकनीकी खामी थी, इसलिए राजीव पर लाया गया संशोधन पारित नहीं हुआ है। बीजेपी ने कहा कि प्रस्ताव पास हो चुका है। अब कुछ नहीं हो सकता। इससे पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने प्रस्ताव पर गहरी नाराजगी जताते हुए आप पर हमला बोला और इसे बीजेपी की ‘बी’ टीम बताया। देर शाम आप नेता अलका लांबा ने अपना पक्ष रखा।
प्रस्ताव का समर्थन मुझे मंजूर नहीं था: अलका
लांबा ने बताया कि प्रस्ताव लाया गया कि पूर्व पीएम राजीव गांधी को दिया गया भारत रत्न वापस लिया जाना चाहिए। मुझे इसका समर्थन करने को कहा गया, जो मुझे मंजूर नहीं था, मैंने वॉक आउट किया। इसकी जो सजा मिलेगी, मैं उसके लिए तैयार हूं।
प्रस्ताव पास हुआ या नहीं, इसपर विवाद
आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री के बारे में जो पंक्तियां हैं, वे सदन में पेश किए गए मूल प्रस्ताव का हिस्सा नहीं थी और एक सदस्य ने उस पर हाथ से लिखकर इन्हें शामिल किया था। भारद्वाज ने कहा कि इस तरीके से प्रस्ताव पास नहीं सकता। हालांकि, बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता ने दावा किया है कि राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लिए जाने का प्रस्ताव विधानसभा में पास हो चुका है और अब यह सदन की कार्यवाही का हिस्सा बन चुका है।
आप विधायक जरनैल सिंह ने विधानसभा में प्रस्ताव को पेश करते वक्त राजीव गांधी के नाम का जिक्र किया और सिख विरोधी दंगों का बचाव करने के लिए कांग्रेस नेता से भारत रत्न वापस लिए जाने की मांग की। हालांकि, भारद्वाज के बयान के बाद जरनैल सिंह ने कहा कि यह एक तकनीकी त्रुटि थी। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव की लिखित कॉपी में राजीव गांधी के नाम का संदर्भ नहीं था, इसे मौखिक तौर पर शामिल किया गया जिसे सदन ने ध्वनि मत से पास किया। प्रस्ताव में सिख विरोधी दंगों को नरसंहार बताते हुए इससे जुड़े मामलों की तेजी से सुनवाई की मांग की गई है।