छत्तीसगढ़

09-Jun-2018 4:05:18 pm
Posted Date

प्रशासन बताये केलो में डुबकी कहाँ लगाए ? आशीष ताम्रकार

पचधारी पर प्रतिबंध जनआस्था का अपमान रायगढ़ :- पचधारी के निकट केलो पर डुबकी लगाए जाने पर प्रतिबंध को जनआस्था का अपमान बताते हुए जिला भाजपा मंन्त्री आशीष ताम्रकार ने कहा कि केलो मईया से लोगो को आस्था जुड़ी हुई है. पेयजल हेतु इंटक के नीचे झरने नुमा पानी का लुत्फ शहरवासी लेते रहे है. नहाने पर प्रतिबंध लगाए जाने की जानकारी से केलो के प्रति जनभावनाएं आहत हुई है. जीवनदायिनी केलो से आम जनता की भवनाये जुड़ी हुई है. समय समय पर केलो की आरती व पूजा के जरिये शहरवासियों ने अपनी माँ के प्रति अगाध प्रेम की अभिव्यक्ति की है. नहाने पर प्रतिबंध माँ के प्रेमपूर्वक आँचल से वंचित करने जैसा कदम है. गत वर्ष पेयजल को गंदगी से बचाने इंटकवेल के निकट नहाने पर प्रतिबंध लगाया गया था लेकिन इंटक वेल के नीचे झरने के रूप में प्रवाहित पानी मे जिले भर की महिलाएं बच्चे युवा नहाकर पुण्य के भागी बनते है. कुछ दिनों के पश्चात मानसून का आगमन होने पर पानी का प्रवाह तेज होने पर नहाना का कार्य स्वयं ही स्थगित हो जाता है. इस स्थल को पिकनिक के रूप में विकसित करने के लिए पार्क बनाने सहित अनेक प्रयास किये जा रहे है जिन पर तेजी से कार्य चल रहा है. सुरक्षा के दृष्टिकोण से वहाँ पुलिस जवानों के ड्यूटी की मांग भी की की गई है. इसके अलावा पचधारी पहुंच मार्ग जर्जर था जिसका सुधार कार्य करवाया गया है. सुरक्षा के दृष्टि से यहाँ गार्ड की नियुक्ति की मांग के अलावा महिलाओ के लिये शौचालय की मांग रखी गई थी. जनभावना का सम्मान करते हुए इंटकवेल के नीचे नहाने के अनुमति दी जाए. नहाने पर पानी के प्रदूषित होने की जानकारी भी जनता को ठेस पहुंचाने वाली है. सही मायने में नहाने की बजाय उद्योगों का अपशिष्ठ व फ्लाई ऐश केलो मिलने की वजह से पानी प्रदूषित हो रहा है. केलो को प्रदूषण से बचाने वाटर ट्रीटमेंट प्लान्ट की मांग भी की गई थी. केलो में डुबकी लगाना जन आस्था का विषय है. कुम्भ स्नान में करोड़ो लोगो के एक साथ स्नान करते है इस हेतु प्रसाशन समुचित व्यवस्था करता है. इस तर्ज पर यहां भी प्रतिबंध की बजाय सुरक्षा के साधन मुहैया कराते हुए प्रतिबंध हटा जनभावना का सम्मान करें.

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