0-फैसले के खिलाफ जा सकते हैं सुप्रीम कोर्ट
नईदिल्ली ,17 दिसंबर । हाईकोर्ट ने 1984 सिख विरोधी दंगों के मामले में कांगे्रस के वरिष्ठ नेता रहे सज्जन कुमार पर निचली अदालत का फैसला पलट दिया है. उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. उन्हें 31 दिसंबर तक सरेंडर करना होगा. उम्रकैद के अलावा सज्जन कुमार पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. इसके अलावा बाकी दोषियों को जुर्माने के तौर पर एक-एक लाख रुपये देने होंगे. सूत्रों के मुताबिक, कपिल सिब्बल के बेटे अमित सिब्बल, सज्जन कुमार का केस लड़ रहे थे. सज्जन कुमार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं.
हाईकोर्ट ने सज्जन के अलावा बलवान खोखर, कैप्टन भागमल और गिरधारी लाल की उम्र कैद की सजा बरकरार रखी है. जबकि पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोखर की सजा बढ़ाते हुए 10-10 साल कर दी. इससे पहले निचली अदालत ने महेंद्र और किशन को तीन-तीन साल की जेल की सजा सुनाई थी.
फैसला पढ़ते हुए रोने लगे जज
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिस वक्त फैसला पढ़ा जा रहा था, पीडि़त पक्ष के वकील रोने लगे. यही नहीं, फैसला पढ़ते हुए जज की आंखें भी नम हो गईं.
सजा सुनाते हुए जज ने कहा कि कई दशक से लोग न्याय का इंतज़ार कर रहे थे. उन्होंने कहा कि ये जांच एजेसिंयों की नाकामी है कि अब तक इस मामले में कुछ नहीं हुआ है.
बता दें कि पूर्व कांग्रेस काउंसलर बलवान खोखर, रिटायर्ड नेवी ऑफिसर भागमल, गिरधारी लाल और दो अन्य को दोषी ठहराया गया था. इन्हें 1 नवंबर, 1984 को दिल्ली कैंट के राज नगर एरिया में एक परिवार के पांच सदस्यों की हत्या के मामले में सजा सुनाई गई थी.
अप्रैल 2013 में निचली अदालत ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया था, लेकिन खोखर, भागमल और गिरधारी लाल को उम्रकैद व पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किश खोखर को तीन साल की सजा सुनाई थी.
ये मामला तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद एक नवंबर 1984 का है. दिल्ली छावनी के राजनगर क्षेत्र में एक परिवार के पांच सदस्यों की हत्या कर दी गई थी. मामले में बाकी लोगों को पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है. जस्टिस एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने 29 अक्टूबर को सीबीआई, दंगा पीडि़तों और दोषियों की ओर से दायर अपीलों पर दलीलें सुनने का काम पूरा करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था.
दोषियेां ने मई 2013 में आए निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी. सीबीआई ने भी अपील दायर करते हुए आरोप लगाया था कि वे सुनियोजित सांप्रदायिक दंगे और धार्मिक रूप से सफाया करने में संलिप्त थे. एजेंसी और पीडि़तों ने कुमार को बरी किये जाने के खिलाफ भी अपील दायर की थी.
क्यों हुए थे दंगे?
1984 में इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी. जिसके बाद देश के कई शहरों में सिख विरोधी दंगे भडक़ उठे थे. कहा जाता रहा है कि कांग्रेस पार्टी के कुछ कार्यकर्ता इसमें सक्रिय रूप से शामिल थे. इंदिरा गांधी की हत्या सिखों के एक अलगाववादी गुट ने उनके द्वारा अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में करवाई गई सैनिक कार्रवाई के विरोध में कर दी थी.
भारत सरकार की ऑफिशियल रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे भारत में इन दंगों में कुल 2800 लोगों की मौत हुई थी. जिनमें से 2100 मौतें केवल दिल्ली में हुई थीं. सीबीआई जांच के दौरान सरकार के कुछ कर्मचारियों का हाथ भी 1984 में भडक़े इन दंगों में सामने आया था. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके बेटे राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने थे.