0 कोरेगांव-भीमा हिंसा मामला
नई दिल्ली ,11 दिसंबर । उच्चतम न्यायालय ने कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में आरोप पत्र दाखिल करने की 90 दिन की समय सीमा आगे बढ़ाने से इंकार करने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की अपील पर मंगलवार को सुनवाई अगले महीने के लिये स्थगित कर दी।
शीर्ष अदालत ने इस मामले की सुनवाई स्थगित करने का एक आरोपी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता का अनुरोध स्वीकार कर लिया। न्यायालय ने इससे पहले, राज्य सरकार से इस मामले में गिरफ्तार कार्यकर्ताओं के खिलाफ आरोपों का सार और जांच रिपोर्ट मांगी थी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसफ की पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह ने इस मामले का उल्लेख करते हुये आज सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया। पीठ ने कहा कि हम आज किसी भी स्थिति में इस मामले की सुनवाई नहीं कर सके। हमने दस्तावेज नहीं पढ़े हैं जो करीब 8000 पेज (आरोप पत्र और सार) हैं। पीठ ने अनिश्चित काल के लिये सुनवाई स्थगित करने का सुझाव दिया। आरोपी सुरेन्द्र पुंडलिक गडलिंग की ओर से इन्दिरा जयसिंह ने इसका विरोध करते हुये कहा कि सारे आरोपी जेल में हैं। उन्होंने कहा कि इसे आठ जनवरी को सूचीबद्ध कर दिया जाये। पीठ ने कहा कि इसकी सुनवाई के लिये शीघ्र ही तारीख निर्धारित की जायेगी। इससे पहले, न्यायालय ने राज्य सरकार को इस मामले में आरोपों का सार और गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ दायर आरोप पत्र आठ दिसंबर तक पेश करने का निर्देश दिया था। पीठ ने कहा था कि वह इस साल जून में गिरफ्तारी के बाद से ही जेल में बंद आरोपियों के खिलाफ आरोप देखना चाहती है। शीर्ष अदालत इस मामले में आरोप पत्र दाखिल करने की 90 दिन की समय सीमा 90 दिन और बढ़ाने से इंकार करने के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई कर रही थी। न्यायालय ने बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा रखी है। इस मामले में पुलिस पहले ही निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है।