राज्य

12-Dec-2018 11:02:13 am
Posted Date

रेप पीडि़ताओं के लिए हर जिले में बने वन स्टॉप सेंटर

0-सुप्रीम कोर्ट का निर्देश 
नई दिल्ली ,11 दिसंबर । सुप्रीम कोर्ट ने रेप पीडि़ताओं के साथ होनेवाले भेदभाव को लेकर निराशा जाहिर की। कोर्ट ने कहा पीडि़ताओं को आरोपियों की तरह देखा जाता है और उन्हें सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है, यह दुखद है। कोर्ट ने सभी जिलों में रेप पीडि़ताओं के पुनर्वास के लिए वन स्टॉप सेंटर बनाने का भी निर्देश दिया। 
रेप पीडि़ताओं की पहचान सार्वजनिक करने और उनके साथ होने वाले सामाजिक भेदभाव को लेकर सर्वोच्च अदालत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रेप पीडि़ताओं को सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है, यह बहुत दुखद है। कोर्ट ने केंद्र और संघ शासित प्रदेशों को भी प्रत्येक जिले में एक वन स्टॉप सेंटर बनाने का निर्देश दियासुप्रीम कोर्ट ने केंद्र-राज्य सरकारों और संघ शासित प्रदेशों को रेप पीडि़ताओं के कल्याण और पुनर्वास के लिए महत्वपूर्ण निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक जिले में रेप पीडि़ताओं के लिए एक वन स्टॉप सेंटर बनना चाहिए। यहां रेप से संबंधित मुद्दों का समाधान होना चाहिए और पीडि़ताओं के पुनर्वास के लिए व्यवस्था होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने समाज की मानसिकता में भी बदलाव की बात कही। कोर्ट ने कहा, श्यह बहुत दुखद है कि समाज में रेप पीडि़ताओं के साथ आरोपी की तरह व्यवहार किया जाता है। उन्हें सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। इस मानसिकता में बदलाव होना ही चाहिए। सर्वोच्च अदालत ने रेप पीडि़ताओं के नाम, तस्वीर सार्वजनिक करने पर सख्त आपत्ति जाहिर की और कहा कि जांच एजेंसी, पुलिस या मीडिया के द्वारा किसी भी सूरत में रेप पीडि़ताओं की पहचान सार्वजनिक नहीं की जानी चाहिए।

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