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14-Apr-2021 2:36:01 pm
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बीआईएस ने छोटे उद्योगों के लिए की न्यूनतम चिन्हांक शुल्क में 50 फीसदी कटौती

नईदिल्ली,14 अपै्रल । भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने छोटे सूक्ष्म उद्योग और स्टार्टअप व महिला उद्यमियों के लिए न्यूनतम चिन्हांकन (मार्किं ग) शुल्क में 50 फीसदी की कटौती है। उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव लीना नंदन ने यहां एक वर्चुअल प्रेसवार्ता के दौरान बीआईएस की विभिन्न पहलों की जानकारी दी। इस मौके पर मौजूद बीआईएस के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने बताया कि छोटे सूक्ष्म उद्योग और स्टार्टअप व महिला उद्यमियों के लिए न्यूनतम चिन्हांकन (मार्किं ग) शुल्क में 50 फीसदी की कटौती की गई है और इसमें पुराने लाइसेंसधारकों को 10 फीसदी अतिरिक्त छूट मिलेगी। उन्होंने कहा कि हितधारकों के लिए नियमों का अनुपालन सुगम बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
मसलन, प्रमाणन की पूरी प्रक्रिया स्वचालित हो गई है, जिसमें लाइसेंस प्रदान करना, लाइसेंस का नवीनीकरण करना आदि सब कुछ अब मानक ऑनलाइन पोर्टल ई-बीआईएस के जरिए स्वचालित हो गया है, जिससे तय समयसीमा के भीतर यह काम होने लगा है।
उन्होंने बताया कि इस सरलीकृत प्रक्रिया के तहत 80 फीसदी से अधिक उत्पाद आ गए हैं और इन उत्पादों के विनिर्माण के लिए एक महीने के भीतर लाइसेंस जारी करना संभव हो गया है। उन्होंने बताया कि बीआईएस के इन पहलों से 90 फीसदी से ज्यादा आवेदनों का निपटान तय समयसीमा के बीच किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि हमारे पास लगभग 21000 भारतीय मानक हैं। इसका मकसद देश की अर्थव्यवस्था और उपभोक्ताओं के लिए विभिन्न उत्पादों बेहतर मानक तय करना है।
उद्योगों, एमएसएमई क्षेत्र के लाभ के लिए भारतीय मानक अब नि:शुल्क उपलब्ध हैं और ई-बीआईएस के मानक-पोर्टल से डाउनलोड किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न संगठनों में चल रहे मानक तैयारी के कार्य में सामंजस्य स्थापित करने के लिए एक ‘राष्ट्र एक मानक’ स्कीम शुरू की गई है और आरडीएसओ, इंडियन रोड कांग्रेस और प्रतिरक्षा मंत्रालय के अंतर्गत मानकीकरण महानिदेशालय जैसे एसडीओ के साथ परामर्श की प्रक्रिया जारी है।
इस मौके पर उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव लीना नंदन ने संवाददाताओं के एक सवाल पर बताया कि सोने के गहने व कलाकृतियों पर बीआईएस हॉलमार्किं ग की अनिवार्यता आगामी जून महीने में लागू हो जाएगी। कोरोना महामारी का प्रकोप बढऩे के कारण इसे आगे बढ़ाने की संभावनाओं को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि आभूषण विनिर्माताओं की तरफ से इस प्रकार की कोई मांग नहीं आई है।

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