नई दिल्ली(आरएनएस)। इन दिनों आईआरसीटीसी की वेबसाइट हैंग होने के मामले बढ़ गए हैं। इससे रेल टिकटों की बुकिंग, खासकर तत्काल बुकिंग में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई मर्तबा तो पीएनआर स्टेटस तक जानना मुश्किल हो जाता है। लेकिन सब कुछ जानते हुए भी रेलवे असमर्थ है। प्राइवेट वेबसाइटों ने रेलवे वेबसाइटों में सेंध लगाकर उनकी हालत पतली कर दी है और सब कुछ जानते हुए भी रेलवे उनके विरुद्ध कार्रवाई करने में असमर्थ है। सूत्रों के अनुसार रेल यात्रियों को सूचनाएं व सेवाएं देने के नाम पर इन दिनों दर्जनों ऐसी प्राइवेट वेबसाइटें फलफूल रही हैं, जिनका मूल स्रोत आइआरआरसीटी की वेबसाइट है। अपने अनोखे साफ्टवेयर और ऐप के बूते ये रेल ग्राहकों को आइ आर सी टी सी से भी बेहतर व त्वरित सूचनाएं व सेवाएं प्रदान कर रही हैं। लेकिन इनकी ये खूबी आइ आर सी टी सी की वेबसाइट के हैंग होने का कारण बन रही है। आखिर इस समस्या का स्थायी समाधान क्यों नहीं निकाला जा रहा, यह जानने के लिए जब हमने रेलवे बोर्ड में आईटी सेल के प्रमुख एडीशनल मेंबर संजय दास से बात की तो उन्होंने इस रहस्य से पर्दा उठा दिया। उन्होंने कहा कि क्षमता व कुशलता की दृष्टि से आईआरसीटीसी का पोर्टल विश्व का सबसे बड़ा व सुरक्षित पोर्टल है। लेकिन व्यक्तिगत ग्राहकों के अलावा प्राइवेट वेबसाइटों व टिकटिंग एजेंटों की अधिकृत व अनधिकृत घुसपैठ के कारण इसे कभी-कभी जाम का शिकार होना पड़ता है। ये साइटें मशीनों व साफ्टवेयर के जरिए एक ही वक्त पर हजारों लोगों की बुकिंग व सूचनाएं एक्सेस करने में सक्षम हैं। हमारी दिक्कत यह है कि एक तो ये वेबसाइटें रेलवे से भी बेहतर और तेज सेवाएं दे रही हैं जिससे लोग इन्हें पसंद करते हैं। जबकि दूसरे, भारत का कोई भी मौजूदा नियम या कानून इन्हें इस कार्य से रोकता नहीं है। यहां तक कि साइबर सुरक्षा कानून में भी इनकी इन गतिविधियों को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है। यही वजह है कि सब कुछ जानने के बावजूद हम इनके विरुद्ध कोई भी कार्रवाई करने में स्वयं को असमर्थ पाते हैं। हमें यह बखूबी पता है कि कौन सी वेबसाइट क्या कर रही है और उससे हमारी साइट पर कब, कितना लोड बढ़ रहा है। लेकिन कर कुछ नहीं सकते। हम केवल अपनी क्षमता बढ़ा सकते हैं और नई सेवाएं शुरू कर सकते है। वह हम कर भी रहे हैं। हमारी वेबसाइटों पर लोगों को कम से कम परेशानी हो और वे केवल रेलवे की वास्तविक वेबसाइट का ही प्रयोग करें इसके लिए पूर्व में हमने अपने सर्वर की क्षमता को कई गुना बढ़ाया है। जबकि अब हम एक नया मोबाइल ऐप लॉन्च करने जा रहे हैं। आगामी 6 जुलाई को लांच होने वाले इस ऐप में प्राइवेट वेबसाइटों द्वारा दी जा रही तकरीबन सभी सेवाएं व सूचनाएं उपलब्ध होंगी।
जहां तक प्राइवेट वेबसाइटों पर नियंत्रण का सवाल है तो उसके लिए एक समिति का गठन किया गया है। यह समिति आईआरसीटीसी समेत रेलवे की तमाम वेबसाइटों का व्यावसायिक उपयोग करने के बारे में नियम व शर्ते तैयार करेगी। ताकि निजी साइटों से लाभ की हिस्सेदारी प्राप्त करने के अलावा अपनी वेबसाइटों पर विज्ञापन प्रसारित कर हम अपनी आमदनी बढ़ा सकें। यह समिति यह भी देखेगी कि निजी वेबसाइटों की कौन सी गतिविधियों को साइबर अपराध की श्रेणी में रखा जा ए ताकि वे अपने फायदे के लिए रेलवे का नुकसान न कर सकें। इसके आधार पर साइबर सुरक्षा कानून में संशोधन का प्रस्ताव लाया जा सकता है।
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