नई दिल्ली। सोने की कीमत में पिछले कई महीनों से गिरावट आ रही है। अगस्त में यह 56200 रुपये प्रति 10 ग्राम के रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था लेकिन उसके बाद से इसमें करीब 7000 रुपये की कमी आ चुकी है। अमेरिकी बैंक मुताबिक मेनस्ट्रीम फाइनेंस में क्रिप्टोकरेंसीज के उभार इसकी असली वजह है।
बैंक के चंटिटेटिव स्ट्रैटजिस्ट्स का कहना है कि अक्टूबर से बिटकॉइन फंड्स में काफी पैसा निवेश हुआ है जबकि निवेशकों ने सोने से दूरी बनाई है। आने वाले लंबे समय तक इस ट्रेंड के बने रहने की संभावना है क्योंकि ज्यादा से ज्यादा इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स क्रिप्टोकरेंसीज का रुख कर रहे हैं। बढ़ रही है डिजिटल करेंसीज की लोकप्रियता
वॉल स्ट्रीट के उन चंद बैंकों में शामिल हैं जो गोल्ड और क्रिप्टो मार्केट्स के ट्रेंड में भारी बदलाव का अनुमान लगा रहे हैं। एसेट क्लास के तौर पर डिजिटल करेंसीज की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है। बैंक का कहना है कि अगर निवेशक सोने से दूर होते हैं और क्रिप्टोकरेंसीज का रुख करते हैं तो बहुमूल्य धातु मार्केट्स के लिए चिंता की बात है। बैंक के स्ट्रैटजिस्ट्स का कहना है कि अभी इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स ने बिटकॉइन अपनाना शुरू ही किया है।
लिस्टेड सिक्योरिटी फर्म मुताबिक अक्टूब से बिटकॉइन में करीब 2 अरब डॉलर का निवेश हुआ है जबकि गोल्ड एक्सचेंज फंड्स से 7 अरब डॉलर निकाले गए हैं। फैमिली ऑफिस एसेट्स में बिटकॉइन की हिस्सेदारी महज 0.18 फीसदी है जबकि गोल्ड ईटीएफ का हिस्सा 3.3 फीसदी है। अगर सुई गोल्ड से बिटकॉइन की तरफ मुड़ती है तो अरबों डॉलर कैश ट्रांसफर होगा। बिटकॉइन की कीमत पिछले सप्ताह 19462.14 डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। उसके बाद से इसमें 6 फीसदी गिरावट आई है।