संपादकीय

08-Dec-2018 12:59:53 pm
Posted Date

भारतीयों की मुश्किलें बढ़ाते वीजा कानून

जयंतीलाल भंडारी
हाल ही में एक दिसंबर को अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीजा आवेदन प्रक्रिया में कुछ बड़े बदलावों के प्रस्ताव का नोटिस जारी किया है। इसमें कहा गया है कि अमेरिका में ही एडवांस्ड डिग्री हासिल करने वालों को हाई स्किल वीजा के लिए वरीयता दी जाएगी। इसके अलावा विदेशी वर्करों की नियुक्ति करने वाली कंपनियों को विदेशी वर्करों के लिए एच-1बी वीजा मांगने के लिए अब एडवांस में खुद को यूएस सिटीजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) पर इलेक्ट्रॉनिकली रजिस्टर करना पड़ेगा। कहा गया है कि प्रस्तावित बदलावों के जरिए देश में कुशल और ज्यादा कमाने वाले लोगों का चुनाव आसान हो जाएगा। वस्तुत: एच-1बी वीजा एक गैर-प्रवासी वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में विदेशी कर्मचारियों की भर्ती की अनुमति देता है।
निश्चित रूप से एच-1बी वीजा संबंधी बदलाव के नए प्रस्ताव से दूसरे देशों में पढ़ाई पूरी करने वाले पेशेवरों को अमेरिकी वीजा मिलने में मुश्किल आ सकती है। एच-1बी वीजा भारतीय पेशेवरों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है और यह वीजा प्राप्त करना भारत की नई पेशेवर पीढ़ी का सपना भी होता है। वर्ष 2017 में 67,815 वीजा भारतीयों को दिए गए, इनमें से 75.6 फीसदी आईटी प्रोफेशनल्स को मिले। ये आईटी प्रोफेशनल प्रमुखतया गूगल, आईबीएम, इन्फोसिस, टीसीएस, विप्रो, फेसबुक और एप्पल जैसी आईटी और इंटरनेट कंपनियों में नौकरी करते हैं।
अमेरिकी सरकार के अनुसार पांच अक्तूबर, 2018 तक अमेरिका में एच-1बी वीजा रखने वालों की संख्या 4,19 637 है। इनमें से तीन-चौथाई यानी 3,09,986 भारतीय मूल के नागरिक हैं। गौरतलब है कि अमेरिका के गृह सुरक्षा विभाग (डीएचएस) और अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) द्वारा संकेत दिया गया है कि उनके द्वारा एच-1बी वीजा नीति में बदलाव और इसके संबंध में जनवरी 2019 तक नया प्रस्ताव लाने की योजना बनाई जा रही है ताकि बेहतर और प्रतिभाशाली विदेशी नागरिकों को ही अमेरिका में रहने का मौका मिल सके।
यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि अमेरिका में न केवल एच-1बी वीजा प्रस्तावों में बड़े बदलाव के लिए प्रस्ताव आगे बढ़ा है, वरन अमेरिका में एच-1बी वीजाधारकों के जीवनसाथियों के लिए कार्य परमिट के लिए दिए जाने वाले एच-4 वीजा को खत्म करने की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है। ऐसे में अब अमेरिका में यदि पति के पास एच-1बी वीजा है तो पत्नी को कार्य करने की अनुमति नहीं होगी। इसी तरह पत्नी के पास एच-1बी वीजा होने पर पति को कार्य परमिट नहीं मिलेगा। माना जा रहा है कि इस कदम से करीब 64 हजार से अधिक पेशेवरों को काम की अनुमति नहीं मिलेगी। गौरतलब है कि 2015 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में जीवनसाथी को कार्य परमिट देने का फैसला हुआ था। यह फैसला इस आधार पर हुआ था कि एच-1बी वीजाधारक उच्च गुणवत्ता वाले पेेशेवर के साथ उसका जीवनसाथी भी अमेरिका में रहकर कार्य कर सकता है। दिसम्बर 2017 तक 1,26,853 एच-4 वीजा प्रस्ताव मंजूर हुए थे।
इतना ही नहीं, ट्रंप प्रशासन ने ईबी-5 निवेशक वीजा कार्यक्रम को बंद करने का प्रस्ताव अमेरिकी कांग्रेस के सामने रखा है। ईबी-5 निवेशक वीजा कार्यक्रम के जरिए विदेशी लोगों को अमेरिका में 6.7 करोड़ रुपए तक निवेश करने के लिए ग्रीन कार्ड जारी किया जाता है। अमेरिका ईबी-5 निवेशक वीजा कार्यक्रम के तहत हर साल करीब 1०० विदेशियों को वीजा जारी करता है। इस वीजा कार्यक्रम के बंद होने से बड़ी संख्या में भारतीय निवेशक प्रभावित होंगे। इस वर्ष 2018 में 700 भारतीयों द्वारा ईबी-5 वीजा के लिए आवेदन का अनुमान है। पिछले चार साल में ईबी-5 वीजा के तहत आए आवेदनों की संख्या तीन गुनी हो गई है। भारतीयों को इस वर्ग के तहत ग्रीन कार्ड पाने के लिए करीब 3.5 करोड़ रुपए अपनी पत्नी और अविवाहित बच्चों के नाम से निवेश करना होते हैं। इसके लिए किसी तरह की पढ़ाई या अन्य पैमाने की जरूरत नहीं होती । ईबी-5 वीसा मिलने के बाद व्यक्ति अमेरिका में कहीं भी जाकर रह सकता है। अमेरिका के नागरिकता और आव्रजन सेवा विभाग का कहना है कि 20 अप्रैल, 2018 तक 6,32,219 भारतीय आव्रजक तथा उनके पति-पत्नी तथा अल्प वयस्क बच्चे ग्रीन कार्ड के इंतजार में हैं। ग्रीन कार्ड से अमेरिका की स्थायी नागरिकता मिलती है।
नि:संदेह इस समय अमेरिका में वीजा संबंधी कठोरता के कारण भारतीय पेशेवरों की मुश्किलें और चिंताएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। खासतौर से अमेरिका में सरकार की ‘बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन’ नीति के तहत नई-नई वीजा संबंधी कठोरता भारतीय हितों को नुकसान पहुंचाते हुए दिखाई दे रही है। अब जिस तरह अमेरिका में ट्रंप प्रशासन द्वारा जनवरी 2019 तक जो नए कठोर वीजा नियम लाए जाने हैं, उनसे भारत की आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) कंपनियों पर बड़े पैमाने पर असर पड़ेगा। भारतीय मूल के अमेरिकियों के स्वामित्व वाली छोटी तथा मध्यम आकार की कंपनियां भी इससे प्रभावित होंगी।
उल्लेखनीय है कि आईटी सेवा कंपनियों के संगठन नैसकॉम ने विगत दो दिसंबर को अमेरिका सरकार के हालिया प्रस्ताव को लेकर चिंता जताते हुए कहा है कि इस कदम से अनिश्चितताएं पैदा होंगी और अमेरिका में नौकरियों पर संकट आ सकता है। एच-1बी वीजा नियमों में बदलाव संबंधी प्रस्ताव को लेकर अमेरिका में आईटी कंपनियों के संगठन आईटीसर्व एलायंस ने अमेरिकी प्रशासन को चुनौती दी है। ऐसे में भारत द्वारा आईटीसर्व एलायंस के अभियान को पूरा समर्थन दिया जाना होगा। साथ ही अब अमेरिका में भारत की आईटी कंपनियों को चिंताओं से बचाने और भारतीय पेशेवरों के हितों के लिए अमेरिका सदन के डेमोक्रेट्स का उपयोग किया जाना होगा। उल्लेखनीय है कि विगत 8 नवंबर को अमेरिका के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में अधिकतर सीटों पर डेमोक्रेट्स उम्मीदवारों के विजयी होने के बाद अब भविष्य में अमेरिकी सरकार की आव्रजन नीतियों में संतुलन स्थापित होगा। अमेरिकी कांग्रेस में डेमोक्रेट्स का बहुमत होने से ट्रंप प्रशासन के लिए भविष्य में वीजा कानून में कोई बदलाव करना आसान नहीं रहेगा। यदि नए वीजा कानून की जरूरत होगी तो ट्रंप प्रशासन को उस सदन से समर्थन की दरकार होगी।
इसी तरह विगत 9 नवंबर को ट्रंप प्रशासन ने विधि निर्माताओं और अमेरिकी कार्पोरेट क्षेत्र को जो भरोसा दिया है कि एच-4 वीजाधारक पति या पत्नी को कार्य करने की मंजूरी रद्द करने के उसके प्रस्ताव पर जनता की राय के बाद मंजूरी दी जाएगी, उसके मद्देनजर एच-4 वीजाधारकों के हित में अमेरिकी सांसदों और अमेरिकी कार्पोरेट क्षेत्र और भारत के हितचिंतक प्रबद्ध वर्ग से समर्थन जुटाया जाना चाहिए। हमें बेहद कुशल पेशेवरों को अमेरिका में रोकने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के सकारात्मक रवैये का भी लाभ उठाना होगा।

 

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