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29-Nov-2020 11:43:33 am
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लू से भारत की जीडीपी को लग सकती है 250 अरब डॉलर की चपत

नई दिल्ली। भयंकर लू  देश की इकॉनमी के लिए घातक हो सकती है। ग्लोबल मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म मैकिंजी (रूष््यद्बठ्ठह्यद्ग4) की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक दशक बाद भारत उन देशों में होगा जहां भयंकर लू के कारण घर से बाहर काम करना जानलेवा होगा। भारत की जीडीपी का 50 फीसदी हिस्सा आउटडोर कामों पर निर्भर है। इनमें कृषि, खनन और कंस्ट्रक्शन शामिल हैं। इस तरह भारतीय इकॉनमी को 250 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक एशिया में 16 करोड़ से 20 करोड़ लोग ऐसे इलाकों में रह रहे होंगे जहां भयंकर लू चल सकती है। इसके 20 साल बाद यह संख्या 31 से 48 करोड़ पहुंच सकती है। जानलेवा लू तब चलती है जब एवरेज डेली मैक्सिमम वेट-बल्ब टेम्परेचर ऐसे पॉइंट पर पहुंच जाता है जो छाया में आराम कर रहे इंसान को मार सकता है। गर्मी और उमस से बेहाल होंगे लोग
रिपोर्ट में कहा गया है कि क्लाइमेट मॉडल्स ने यह अनुमान लगाया है कि भारत दुनिया में उन पहली जगहों में शामिल हो सकता है जहां भयंकर गर्मी और उमस होगी। ऐसे में एयर कंडीशनिंग जैसे उपायों के अभाव में बड़ी संख्या में लोग मारे जा सकते हैं। इसका मतलब है कि बाहर काम करना बहुत मुश्किल होगा। लेकिन ऐसे लोगों का क्या होगा जिनका आउटडोर काम किए बिना गुजारा नहीं है।
रिपोर्ट के लिए रिसर्च में योगदान करने वाले मैकिंजी ऐंड कंपनी के पार्टनर सुवजॉय सेनगुप्ता ने कहा, हम संभावित लू से जन स्वास्थ्य पर पडऩे वाले खतरे से चिंतित हैं। भारत में बड़ी संख्या में रोजगार असंगठित क्षेत्र में और दिहाड़ी आधार पर है। इसलिए यह जरूरी है कि समाज के सबसे कमजोर तबके की सुरक्षा को ध्यान में रखकर नीतियां बनाई जाएं।
जीडीपी को 250 अरब डॉलर का नुकसान
इसका सबसे ज्यादा असर गरीबों पर होगा लेकिन समाज के बाकी तबके भी इसके प्रभाव से अछूते नहीं रहेंगे। सेनगुप्ता ने कहा, च्हमारा अनुमान है कि 2030 तक आउटडोर वर्किंग आवर्स नुकसान बढ़कर 15 फीसदी हो जाएगा। इससे जीडीपी को 150 से 250 अरब डॉलर का नुकसान होगा। 2050 तक इसमें और बढ़ोतरी होगी।

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