नईदिल्ली। केंद्र सरकार ने निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विलास बैंक पर आज अनेक तरह की पाबंदियां लगा दी हैं। इन पाबंदियों के पश्चात बैंक के ग्राहकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। अब खाताधारक अपने खाते से सिर्फ 25 हजार रुपए तक निकाल सकते हैं। आरबीआई ने अपने बयान में कहा कि बैंक के हालात पिछले 3 साल से काफी खराब चल रहे थे। इस दौरान बैंक को लगातार घाटा हुआ है। बैंक को 30 सितंबर को खत्म तिमाही में 396.99 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था। वहीं इसकी ग्रॉस एनपीए अनुपात 24.45 फीसदी था।
ख़बरों की माने तो, बैंक काफी समय से पूंजी संकट से जूझ रहा था एवं इसके लिए अच्छे निवेशकों की खोज जारी थी। आकड़ों के मुताबिक जून तिमाही में बैंक के पास कुल जमा पूंजी 21,161 करोड़ थी। इन स्थितियों के पश्चात आरबीआई ने कुछ ही दिन पहले इस बैंक का जिम्मा अपने हाथ में ले लिया था। बैंक के संचालन हेतु आरबीआई ने तीन सदस्यीय कमिटी का गठन किया था।
वहीं, बीते वर्ष की सितंबर तिमाही में बैंक को 357.17 करोड़ का घाटा हुआ था। आरबीआई ने डीबीएस बैंक इंडिया संग लक्ष्मी विलास बैंक की विलय की प्लानिंग की है। इसका लक्ष्य प्रतिबंध अवधि खत्म होने से पूर्व इसे विलय करना का है। ऐसी स्थिति पिछले साल सितंबर में पीएमसी बैंक और इस वर्ष मार्च में यस बैंक के समक्ष आई थी।
एलवीबी की मौजूदा दिक्कत तब प्रारंभ हुई जब इसने रैनबैक्सी और फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर्स मालविंदर सिंह एवं शिविंदर सिंह के के करीबन 720 करोड़ के फिक्सड डिपॉजिट पर ध्यान दिया। वर्ष 2016-17 के शुरुआत में रेलिगेयर फिनवेस्ट के जरिए बैंक को 794 करोड़ के फिक्सड डिपॉजिट हेतु बढ़ावा दिया गया था। रेलिगेयर ने बाद में लोन वसूलने के लिए एफडी का पैसा वसूलने के पश्चात एलवीबी की दिल्ली शाखा पर मुकदमा दायर कर दिया था तथा यह मामला अदालत में है।
लक्ष्मी विलास बैंक ने रेग्युलेटरी फाइलिंग में कहा था कि केयर ने उसके 50.50 करोड़ के अनसिक्योर्ड रिडीमेबल नॉन-कंवर्टिबल सब-ऑर्डिनेटेड लोअर टीयर-2 बॉन्ड्स की रेटिंग घटाकर बीबी माइनस कर दी है। अब केंद्र सरकार की तरफ से बैंक को मोरेटोरियम में डालने संग ही अनेक तरह की पाबंदियां लागू हो गई हैं। जानकारी के मुताबिक, इससे पूर्व केंद्र सरकार ने यस बैंक और पीएमसी बैंक पर भी ऐसी ही पाबंदियां लगाई थीं।