व्यापार

27-Jun-2017 8:30:44 pm
Posted Date

जीएसटी परिषद की अगली बैठक 30 जून को

नई दिल्ली(आरएनएस)। जी.एस.टी. काऊंसिल की 17वीं और काफी अहम बैठक खत्म हुई। सरकारी और निजी लॉटरी के लिए जीएसटी होगी अलग-अलग दरें। जीएसटी परिषद की अगली बैठक 30 जून को होगी। सूत्रों के मुताबिक आज बैठक में 50 से ज्यादा आइटम पर जी.एस.टी. के टैक्स दरों की समीक्षा की जा सकती है। इस दौरान संबंधित सेक्टर की तरफ से आए सुझावों और 5 मुद्दों पर बनाए गए कानून के मसौदे पर चर्चा होगी। इसके अलावा एंटी प्रॉफिटियरिंग, असेसमेंट एंड ऑडिट और एडवांस रूलिंग पर बनाए गए कानून के ड्राफ्ट पर चर्चा हो सकती है। सरकार एंटी प्रॉफिटियरिंग के तहत टैक्स में कमी के हिसाब से कीमतें कम करना सुनिश्चित करेगी। ई-वे बिल के नियमों पर भी चर्चा हो सकती है। ई-वे बिल के तहत एक राज्य से दूसरे राज्य में सामान लाने ले जाने के नियम शामिल हैं। माना जा रहा है कि आज की बैठक में ई-वे बिल के नियमों को मंजूरी दी जा सकती है। 
एसोचौम ने की जीएसटी की तिथि बढ़ाने की मांग
प्रमुख उद्योग संगठन ऐसोचौम ने रिटर्न मॉड्यूल तथा अन्य तकनीकी तैयारियाँ पूरी नहीं होने का हवाला देते हुए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने की तिथि एक जुलाई से आगे बढ़ाने की माँग की है। वित्त मंत्री अरुण जेटली को लिखे एक पत्र में एसोचौम ने कहा है कि जीएसटी नेटवर्क (जी एस टी एन) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नवीन कुमार के बयानों से स्पष्ट है कि एक जुलाई से जीएसटी पूरी तरह लागू नहीं हो पाएगा। उसने बताया कि कुमार स्वयं यह कह चुके हैं कि एक माह पहले बीटा टेस्ट के दौरान कुछ खामियों के कारण जीएसटी के रिटर्न फॉर्मेट को पूरी तरह बदल दिया गया है जिसके कारण इसके सॉफ्टवेयर में बड़े बदलाव करने पड़े हैं। नया रिटर्न मॉड्यूल जुलाई के अंत तक तैयार हो पायेगा। यदि जीएसटी 1 जुलाई से लागू होता है तो पहला रिटर्न अगस्त में भरना होगा। एसोचौम का कहना है कि उस स्थिति में जुलाई के अंत में मॉड्यूल तैयार होने से उसे परखने का समय नहीं मिल पाएगा, साथ ही जिस एक्सेल शीट पर करदाताओं को रोजाना बिक्री के आँकड़े भरने होंगे वह भी 25 जून से ही उपलब्ध होगा। इस तरह करदाताओं के पास इस परखने का भी समय नहीं होगा। उसने कहा है कि जी.एस.टी.एन. की तैयारी की यह स्थिति देखते हुये करदाताओं के लिए जी. एस. टी. को अपनाना मुश्किल होगा।
28 फीसदी कर दायरे वाली वस्तुओं की पुनर्समीक्षा जरूरी
जी.एस.टी. परिषद बैठक से एक दिन पहले छोटे व्यापारियों के संगठन कैट ने 28 प्रतिशत कर दायरे में रखी गई वस्तुओं की पुनर्समीक्षा की मांग की है और कहा है कि इसे सिर्फ विलासी वस्तुओं पर ही लगाया जाना चाहिए। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली पूर्ण अधिकार प्राप्त जी.एस.टी. परिषद की कल लॉटरी पर कर की दर और ई-वे से संबंधित नियम बनाने और मुनाफा वसूली रोधी कदम तय करने के लिए बैठक करेगी। इस परिषद में सभी राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं। कैट ने एक बयान में माल एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) के तहत 28 प्रतिशत की कर दायरे में रखी गई वस्तुओं के वर्गीकरण पर सवाल उठाया है। उसने जेतली से इन वस्तुओं की पुनर्समीक्षा की मांग की है। कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि कर की यह दर व्यापारियों के बीच व्याकुलता का प्रमुख कारण बन गई है जो पिछले दो दिन से हड़ताल पर हैं और इन वस्तुओं को संबंधित निचली दरों के तहत रखने की मांग कर रहे हैं। कैट का कहना है कि इस कर दर को केवल विलासी वस्तुओं पर लगाया जाना चाहिए।

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