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07-Dec-2018 12:14:33 pm
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देश में हर 8वीं मौत जहरीली हवा से!

0-तंबाकू से भी ज्यादा खतरनाक है प्रदूषण
नई दिल्ली ,07 दिसंबर । देश में हर 8 में से 1 व्यक्ति की मौत जहरीली हवा के कारण हो रही है। बाहर ही नहीं, घर के अंदर का प्रदूषण भी जानलेवा हो रहा है। मेडिकल रिसर्च करने वाली सरकारी संस्था आईसीएमआर की नई स्टडी में यह दावा किया गया है। यह भारत में हुई पहली स्टडी है, जिसमें हवा में प्रदूषण की वजह से मौत, बीमारियों और उम्र पर पडऩे वाले असर को आंका गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदूषण लोगों की औसत उम्र भी घटा रहा है। अगर हवा शुद्ध मिलती तो लोग औसतन एक साल 7 महीने ज्यादा जीते। देश की 77 फीसदी आबादी एयर पलूशन की जद में है। प्रदूषण तंबाकू जितना खतरनाक साबित हो रहा है।
तंबाकू का किसी भी रूप में सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है। इससे कैंसर समेत कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, एक ताजा अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि बीमारियों के खतरे के लिहाज से तंबाकू से भी ज्यादा खतरनाक प्रदूषण है। इंडियन काउंसिल ऑफ आईसीएमआर की स्टडी में खुलासा हुआ है कि तंबाकू की तुलना में प्रदूषण से कहीं ज्यादा लोग बीमार पड़ रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले साल यानी 2017 में देश में 12.4 लाख लोगों की मौत के लिए कहीं न कहीं वायु प्रदूषण जिम्मेदार रहा।
एक अध्ययन के अनुसार, लोअर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन की तुलना करें तो ये तंबाकू से ज्यादा एयर पलूशन से हो रहा है। केवल लंग्स कैंसर तंबाकू से ज्यादा हो रहा है। प्रति एक लाख लोगों में 49 लोगों को लंग्स कैंसर की वजह एयर पलूशन है, तो 62 लोगों में इसकी वजह तंबाकू है। 
इस बारे में पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन के प्रोफेसर ललित डंडोना ने कहा कि अभी भी स्मोकिंग और तंबाकू का असर उतना ही है, लेकिन पहले की तुलना में इसके प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी है। हमारी स्टडी में दोनों के बीच तुलना करने की वजह भी यही है कि एयर पलूशन का असर भी तंबाकू जितना होने लगा है। जब कोई तंबाकू का सेवन करता है तो ठीक उसी समय वह ज्यादा प्रभावित होता है, लेकिन प्रदूषण का असर तो इंसान जितनी बार सांस लेगा उतनी बार होगा। प्रोफेसर ललित ने कहा कि जब हवा में पीएम 2.5 का स्तर बढ़ता है तो लोग प्रदूषण के ज्यादा शिकार हो जाते हैं।
वायु प्रदूषण से बढ़ सकता है गर्भपात का खतरा 
वायु प्रदूषण के संपर्क में थोड़ी देर के लिए भी आने से गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है। अमेरिका के यूटा विश्वविद्यालय की रिसर्च में यह बात सामने आई है। शोधकर्ताओं की टीम ने हवा में तीन साधारण प्रदूषक तत्वों- अतिसूक्ष्म कणों (पीएम 2.5), नाइट्रोजन ऑक्साइड और ओजोन की मात्रा बढ़ जाने के बाद तीन से सात दिन की अवधि के दौरान गर्भपात के खतरे को भी जांचा।

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