केद्र सरकार दे रही भारी-भरकम छूट!
नई दिल्ली। किसानों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के मुद्दे पर सरकार, बिजली कंपनियां और स्वयं किसान असमंजस में हैं। अगर किसानों को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराई जाती है, तो इससे बिजली कंपनियों और अंतत: सरकार पर लगातार वित्तीय बोझ बढ़ता जाता है, जो पहले ही प्रति वर्ष 80 हजार करोड़ रुपये की सीमा पार कर चुका है। वहीं अगर किसानों को मुफ्त बिजली उपलब्ध नहीं कराई जाती है, तो इससे किसानों की कृषि लागत बढ़ती है, जो पहले ही कर्ज के बोझ से दबे हुए हैं। ऐसे में विकल्प क्या हो सकता है, जो सरकारों को वित्तीय बोझ से राहत देने के साथ-साथ किसानों को मुफ्त बिजली भी प्रदान करा सके। पूर्व सचिव और ऊर्जा विशेषज्ञ अजय शंकर के अनुसार सौर ऊर्जा से संचालित सोलर पंप इस समस्या का उचित समाधान बन सकते हैं। एक बार सोलर पंप लगाकर इससे लगभग 25-30 साल तक निर्बाध सिंचाई के लिए बिजली प्राप्त की जा सकती है। इनकी लागत एक हॉर्स पॉवर की मशीन के लिए लगभग एक लाख रुपये से 10 हॉर्स पॉवर की मशीन के लिए अलग-अलग कंपनियों के अनुसार 6 लाख रुपये तक हो सकती है। सोलर पैनल से बनी बिजली का उपयोग सिंचाई के साथ-साथ अन्य सभी कृषि कार्यों के लिए किया जा सकता है। इस प्रकार किसान की बिजली पर निर्भरता खत्म हो जाती है। अगर किसान इन सोलर पंप्स की स्कीम का लाभ पीएम-कुसुम योजना के अंतर्गत लेते हैं, तो किसान को इसकी केवल एक तिहाई कीमत तक चुकानी पड़ती है, जबकि एक तिहाई कीमत राज्य सरकार और शेष एक तिहाई कीमत केंद्र सरकार चुकाती है। कुछ राज्य सरकारें अपने किसानों को ज्यादा छूट उपलब्ध कराती हैं, जिससे किसानों को केवल 10 फीसदी तक ही खर्च वहन करना पड़ता है। एक बार इस योजना का लाभ ले लेने के बाद सरकार को किसान के ऊपर बिजली सब्सिडी का वहन नहीं करना पड़ता है। इससे राज्य सरकारों को स्थाई लाभ मिलता है। एक मशीन लगभग शून्य मेंटेनेंस पर 25 से 30 साल तक कार्य करती रहती है। बीच-बीच में केवल बैटरी बदलने की आवश्यकता पड़ती है। कुछ सोलर पंप को हाइब्रिड तकनीकी से भी बनाया जाता है, जिन्हें आवश्यकता पडऩे पर बिजली से भी चलाया जा सकता है, लेकिन बैटरी आधारित होने के कारण इन सोलर पंप्स से दिन-रात कभी भी सिंचाई की जा सकती है।
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