नई दिल्ली,(आरएनएस)। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत छोटे कारोबारियों के लिए शुरू हुई कंपोजीशन स्कीम व्यापारियों को रास नहीं आ रही है। जीएसटी में अब तक करीब 70 लाख असेसी जुड़ चुके हैं, लेकिन इनमें से मात्र एक लाख व्यापारियों ने ही कंपोजीशन स्कीम का चुनाव किया है। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार आने वाले दिनों में इस स्कीम की समीक्षा कर सकती है। सूत्रों ने कहा कि सरकार यह पता ल"ाने की कोशिश कर रही है कि आखिर लघु उद्यमी कंपोजीशन स्कीम का विकल्प चुनने में हिचक क्यों दिखा रहे हैं। माना जा रहा है कि सरकार इस योजना को लोकप्रिय बनाने के लिए व्यापक स्तर पर प्रचार अभियान भी चला सकती है। स्कीम के तहत 75 लाख रुपये तक सालाना कारोबार वाले व्यापारी इस योजना के तहत पंजीकृत हो सकते हैं। हालांकि हिमाचल प्रदेश और पूवरेत्तर के आठ राज्यों के संबंध में कंपोजीशन स्कीम की सीमा 50 लाख रुपये है। इस योजना के तहत पंजीकृत होने वाले व्यापारियों को एक प्रतिशत, मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयों को दो फीसद और रेस्टोरेंट को पांच प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करना है। हालांकि तंबाकू, पान मसाला और आइसक्रीम कंपनियों को यह सुविधा प्राप्त नहीं है। कंपोजीशन के तहत असेसी को मासिक रिटर्न दाखिल करने के बाद तिमाही आधार पर अपनी खरीद-बिक्री का ब्योरा देना होता है। स्कीम अपनाने वालों को विभिन्न तरह का विवरण भी नहीं रखना होता है। अब तक 70 लाख कारोबारी जीएसटी के तंत्र से जुड़ चुके हैं। इसमें करीब एक लाख कारोबारियों ने कंपोजीशन स्कीम का चुनाव किया है। इस स्कीम को लेकर कारोबारियों का उत्साह फीका रहने की एक वजह यह है कि इसके तहत पंजीकृत व्यापारी अंतरराज्यीय व्यापार नहीं कर सकता। कंपोजीशन स्कीम वाले डीलर से खरीद पर कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा का लाभ भी नहीं मिलेगा।
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