संपादकीय

04-Dec-2018 1:09:20 pm
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रिश्तों के मनोविज्ञान को भी समझिए

रेनू सैनी
मानव संबंधों में कुशलता प्राप्त करने के लिए उसी प्रकार प्रयत्न करना पड़ता है, जिस प्रकार की-बोर्ड को सीखने के लिए प्रयास करने पड़ते हैं। जिस व्यक्ति को पियानो बजाना आता है तो वह कोई भी धुन बजा कर दर्शकों को चकित कर सकता है। अब आप सोचिए कि यदि पियानोवादक इसे बिना सीखे बजाने का प्रयत्न करेगा तो वह धुन को भी सुरीला नहीं बजा पाएगा। बिल्कुल यही स्थिति मानव संबंधों के साथ भी है।
व्यक्ति जीवन में अनेक व्यक्तियों से मिलता है और सभी अलग-अलग तरह के होते हैं। यदि उनसे व्यवहार करने के लिए व्यक्ति अलग-अलग तरीके सीखने का प्रयास करेगा तो इसमें उसका बहुत अधिक समय और ऊर्जा लगेगी। इसके विपरीत यदि वह मानव संबंधों के कुछ बुनियादी सिद्धांतों को सीख जाएगा तो वह हर तरह के मानव संबंधों में कुशल बन जाएगा। व्यक्ति संगीत के कुछ बुनियादी राग सीखता है और इनका लगातार तब तक अभ्यास करता है जब तक उसकी अंगुलियां उनकी अभ्यस्त नहीं हो जातीं। जब व्यक्ति निरंतर अभ्यास से की-बोर्ड चलाने में कुशल हो जाता है तो फिर वह थोड़े से अभ्यास और ज्ञान से ही कठिन से कठिन संगीत की रचना कर सकता है और उसे बजा सकता है।
प्रत्येक संगीत रचना दूसरे संगीत से भिन्न होती है जबकि पियानो में सिर्फ 88 कुंजियां होती हैं और स्केल में केवल आठ तानें होती हैं। ये 88 कुंजियां और स्केल की आठ तानें ही मधुर संगीत और शब्दों की बुनियाद होती हैं। इसी तरह कुशल मानव संबंध बनाने के लिए अलग-अलग चालें नहीं बल्कि मानव संबंधों की बुनियाद में निपुणता हासिल करनी होती है। व्यक्ति स्वयं को फिट रखने के लिए व्यायाम करते हैं, जिम जाते हैं और ब्यूटी पॉर्लरों का भी प्रयोग करते हैं। वे अनेक सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग करके स्वयं को खूबसूरत एवं आकर्षक बनाते हैं लेकिन मानव संबंधों की तकनीक को कैसे खूबसूरत और सफल बनाया जाए, इस ओर ध्यान नहीं देते। इसलिए वे अक्सर कई कार्यों और व्यवसायों में फेल हो जाते हैं।
किसी भी कार्य और व्यवसाय की सफलता मानव संबंधों के की-बोर्ड पर टिकी होती है। यदि आपको मानव संबंधों का की-बोर्ड अच्छी तरह चलाना आता है तो आप बाधाओं में भी अवसरों को उत्पन्न कर सकते हैं जबकि मानव संबंधों के की-बोर्ड का ज्ञान न होने पर अवसर भी रुकावट बनकर मार्ग में खड़े हो जाते हैं। मानव संबंधों के की-बोर्ड का ज्ञान होने पर आप कठिन से कठिन समस्या और परेशानी को भी सहजता से दूर कर सकते हैं और स्वयं अनेक पीड़ाओं और परेशानियों से बच सकते हैं।
मानव संबंधों के कई की-बोर्ड हैं। जैसे जिस व्यक्ति के साथ आपको अपना कार्य या व्यवसाय बढ़ाना है, उसमें रुचि लें। केवल अपनी ही न गाते रहें, अपितु उसकी भी सुनें। केवल प्रशंसा और रुचियां ही नहीं अपितु आपको उनकी परेशानियां भी धैर्यपूर्वक सुननी चाहिए। सामने वाले को प्रभावित करने के लिए यह अनिवार्य है कि आप भी उससे प्रभावित हों। यदि आप बात करते समय स्वयं को उससे बेहतर साबित करने का प्रयास करेंगे तो दूसरे व्यक्ति को इस बात का यकीन हो जाएगा कि आपसे भविष्य में उसे कोई सहयोग नहीं मिलने वाला। इसलिए बात करते समय सामने वाले से प्रभावित होकर अपने चेहरे पर सकारात्मक भाव लाएं।
लोगों को उसी रूप में स्वीकार करने का प्रयत्न करें, जैसे वे हैं। यदि आप उन्हें बदलने का प्रयत्न करेंगे तो आप न कभी मित्र बना पाएंगे और न ही कभी साझेदारी में अच्छा व्यवसाय कर पाएंगे। जब आप उन्हें उनके मूल स्वरूप में स्वीकार कर लेते हैं तो वह दूरी समाप्त हो जाती है और व्यक्ति आपके अनुसार चलने के लिए तैयार हो जाता है। जबरदस्ती किसी को सुधारा अथवा परिवर्तित नहीं किया जा सकता। व्यक्ति का समर्थन करें। समर्थन मिलने पर व्यक्ति के अंदर उत्साह जाग्रत हो जाता है और धीरे-धीरे वह वास्तव में प्रशंसनीय कार्य करने लगता है। जब भी कोई आपसे अपनी समस्या का समाधान पूछे तो उसे केवल परामर्श ही न दें, अपितु उसे यह अहसास कराएं कि समस्या के समाधान तक पहुंचने में आप उसके साथ हैं। ऐसा करने से पीडि़त व्यक्ति को संबल मिलता है। ऐसा करने से आप न केवल एक अच्छा मित्र पा सकते हैं बल्कि अपने मानव संबंधों को मजबूत बनाने में भी प्रगाढ़ता हासिल कर सकते हैं।
‘अंडरस्टैंडिंग फियर इन अवरसेल्वज़ एंड अदर्स’ में बोनेरो ओवरस्ट्रीट कहती हैं कि भावनात्मक समस्याओं की जड़ हमेशा दूसरों के साथ हमारे संबंधों में बाधक होती है। इसलिए इन समस्याओं को दूर करने के लिए मानव संबंधों के की-बोर्ड का अभ्यास करें। अभी से मानव संबंध के की-बोर्ड पर अभ्यास करिए और फिर जीवन के हर पड़ाव पर मुस्कुराते हुए आगे बढि़ए।

 

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