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01-Dec-2018 1:43:04 pm
Posted Date

मणिपुर में एफआईआर के खिलाफ 700 सैनिकों की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

नई दिल्ली ,01 दिसंबर । सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में एनकाउंटर को अंजाम देने वाले सैन्य कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका 700 सैन्य कर्मियों की तरफ से दाखिल की गई थी। इन क्षेत्रों में सेना को आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट के तहत विशेष अधिकार प्राप्त हैं। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि 15-20 साल पुराने कई केसों में आर्मी ने जांच भी नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ केसों में सीबीआई जांच का आदेश दिया है।
कई मामलों में नहीं हुई जांच 
याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी लोकुर और यूयू ललित ने कहा, अशांत क्षेत्रों में सैनिकों द्वारा झेली जाने वाली समस्याओं को हम समझते हैं। इसलिए हम लोग कई बार अटॉर्नी जनरल से 15-20 साल में हुए फर्जी एनकाउंटर मामलों की जांच के लिए कह रहे हैं। जब हमने पाया कि इस मामले में कुछ भी नहीं हुआ है तो, हमने कुछ मामलों में सीबीआई जांच का आदेश दिया है। खास तौर पर उन मामलों में जिनमें पहली नजर में ही हाई कोर्ट, न्यायिक आयोग और जस्टिस संतोष हेगड़े कमिशन या एनएचआरसी में फर्जी एनकाउंटर का अंदेशा होता है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि एएफएसपी एक्ट के तहत सही एनकाउंटर में सुरक्षा प्रदान की जाएगी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वह अपने 8 जुलाई, 2016 और 14 जुलाई, 2017 के फैसलों को बदलने के मूड में नहीं है, जिसमें 100 सैन्य कर्मियों के खिलाफ 1528 केंसों मामला दर्ज किया गया था। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऐसी स्थिति में सैनिकों के लिए अशांत इलाकों में ऑपरेशन चलाना मुश्किल हो जाएगा।
आंख नहीं मूंद सकते: एसजी 
जब बेंच ने कहा कि क्योंकि इस मामले में पहले से कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है, ऐसे में वह केंद्र की बात नहीं सुनेगा। तुषार मेहता ने कहा था, अशांत इलाकों में सैनिक जिन समस्याओं से जूझते हैं, हम उन्हें देखकर आंखें नहीं मूंद सकते हैं। आतंक के खिलाफ कार्रवाई करते हुए सैनिकों के हाथ कांपने नहीं चाहिए। ऐसे मौके पर इन दोनों बातों को लेकर संतुलन बनाने की कोशिश होनी चाहिए। इस मामले पर बहस होनी चाहिए। तब तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश को स्थगित कर देना चाहिए। हम अपनी सेनाओं को हतोत्साहित नहीं कर सकते हैं। 
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल ने कहा, संतुलन बनाने के लिए कोई मैकेनिजम लाने से आपको किसने रोका है? इसमें हस्तक्षेप की जरूरत क्यों पड़ी? ये सब ऐसे मामले हैं, जो आपको तय करने चाहिए। हम आपको बहस करने से नहीं रोक रहे हैं। आप बहस कर सकते हैं और संतुलन बनाने के लिए एक मैकेनिजम तलाश सकते हैं। 
सैन्य कर्मियों की तरफ से पहुंचे वकील ऐश्वर्या भाटी ने कहा, जो देश अपने सैनिकों पर भरोसा नहीं करता, उनकी शहादत अपनी संप्रभुता और अखंडता के पतन का कारण बनती है।

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